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Is Motherhood a Personal Choice or a Societal Expectation?: माँ बनना एक जिम्मेदारी है, और ये एक महिला एक जीवन का अहम हिस्सा होता है। लेकिन क्या ये जरूरी है कि न चाहते हुए भी सिर्फ इसीलिए माँ बनना क्योंकि समाज ने ये निर्धारित किया है, कि एक उमर तक शादी और बच्चे हो जाने चाहिए। या समाज की ओर से महिला पर एक अनकहा दबाव है। यह सवाल आज के समय में और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो गया है, जब महिलाएं अपने करियर, सपनों और स्वतंत्रता को लेकर पहले से कहीं ज़्यादा जागरूक हो चुकी हैं।
Motherhood: माँ बनना चॉइस है या एक सामाजिक उम्मीद?
माँ बनना एक सामाजिक अपेक्षा
हमारे समाज में माना जाता है, कि शादी के बाद बच्चे पैदा करना स्वाभाविक और ज़रूरी है। और यदि कोई महिला माँ नहीं बनना चाहती, या माँ बनने से पहले कुछ समय चाहती है, तो उसे स्वार्थी, अधूरी या असामान्य समझा जाता है। समाज में उसे शक की निगाह से देखा जाता है और उसकी निजी पसंद को गलत माना जाता है। लेकिन अब समय बदल गया है, अब महिलाएं अपने जीवन के फैसले खुद लेना चाहती हैं, चाहे वह करियर से जुड़ा हो, शादी का हो या माँ बनने का।
नया दौर, नई सोच
क्या माँ बनना सच में ज़रूरी है? क्या बिना माँ बने भी एक महिला पूरी नहीं हो सकती? ये सवाल आज की महिला समाज की करती है और यह सवाल पूछना बिल्कुल सही भी है। माँ बनना एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। ये सिर्फ एक बच्चा पैदा करना ही नहीं, बल्कि उसे प्यार, समय और अच्छे संस्कार देना भी है। इसे में कोई महिला इसके लिए तैयार नहीं है या वह यह नहीं चाहती, तो जबरदस्ती उस पर यह दबाव डालना सही नहीं है।
मानसिक और आर्थिक पहलु
माँ बनने का फैसला कई बार पैसे की स्थिति, मानसिक हालात या अपने अनुभवों पर टिका होता है। कुछ महिलाएं अपना करियर पहले बनाना चाहती हैं, कुछ सोचती हैं कि वे किसी और तरीके से समाज की मदद कर सकती हैं। कुछ महिलाएं माँ बनना चाहती हैं, लेकिन सही समय का इंतज़ार करती हैं। और कुछ महिलाएं माँ न बनने का फैसला करती हैं। हर वजह सही है और हर महिला को अपना फैसला खुद करने का पूरा हक है।
माँ बनना एक निजी चुनाव
समाज को यह समझना चाहिए कि माँ बनना किसी महिला की एक मात्र पहचान नहीं है बल्कि ये एक निजी फैसला है। एक महिला जब खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार कर लेती है, तब ही उस बच्चे के लिए और महिला के लिए ठीक होता है। समाज का काम उसे सपोर्ट करना है, न कि आलोचना करना। महिलाओं को हक है कि वे अपने फैसले खुद लें।