The Emotional Labor of Motherhood: हमारे समाज में मां की इमोशनल लेबर का बोझ किसी को भी दिखाई नहीं देता है। सदियों से महिलाएं इमोशनल लेबर का बोझ उठाती आ रही हैं और इसके ऊपर कोई बात नहीं करना चाहता है। एक महिला को यह लगता है कि वह एक समय पर बहुत कुछ कर रही है लेकिन दूसरे ही पल उसे लगता है कि अभी तो उसने कुछ भी नहीं किया है या फिर वह बहुत कम कर रही है और यह सबसे बुरी फीलिंग होती है। इससे महिलाएं हर समय अपने आप को साबित करने में लगी रहती हैं और दूसरों से वैलिडेशन मांगती हैं।
क्यों मां की Emotional Labor को समझने में नाकाम है समाज?
इमोशनल लेबर के कारण महिलाओं को बर्नआउट का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत ज्यादा एग्जास्ट होती जाती हैं। इसका एक बहुत बड़ा कारण हर समय दूसरों के लिए करते रहना और खुद के लिए समय न निकालना है। दूसरों की देखभाल करने की जिम्मेदारी हमेशा महिलाओं के ऊपर आती है। एक महिला जब मां बन जाती है तो बच्चे की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर आ जाती है। समाज की तरफ से पिता के ऊपर सिर्फ बच्चों के खर्चे की जिम्मेदारी आती है लेकिन बच्चे की दूसरी जिम्मेदारियां मां की होती हैं। बच्चों के साथ-साथ एक मां को पूरे परिवार की देखभाल करनी पड़ती है और कोई भी इसमें उसका साथ नहीं देता है।
भावनाओं को व्यक्त करने में परेशानी
इसके साथ ही एक मां से हमेशा ही यह अपेक्षा की जाती है कि वह challenging सिचुएशन में भी धैर्य रखें। उसे कभी भी अपने इमोशंस को व्यक्त करने का मौका नहीं दिया जाता है। एक मां की जिम्मेदारी और प्राथमिकता बच्चा ही बना दिया जाता है। इसके कारण बहुत सारी महिलाएं अपने लिए जीना छोड़ देती हैं। जब एक मदर बच्चों के साथ-साथ अपनी जरूरत का भी ख्याल रखती है और अपने आप को भी प्यार करती है तो उसे सेल्फिश होने का टैग दे दिया जाता है। इस इमोशनल लेबर के कारण मदर्स बहुत ज्यादा मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से गुजरती हैं और उन्हें कोई भी समझता नहीं है।
दूसरों का सपोर्ट मिलना जरूरी
मदर्स को अपनी प्रॉब्लम दूसरों को बतानी चाहिए और उनसे सपोर्ट भी मांगना चाहिए क्योंकि यह जरूरी नहीं कि आपको सब कुछ अकेले ही मैनेज करना है। आप भी थकावट महसूस करती हैं, आपको भी आराम की जरूरत है और आप मां बनने के बाद भी खुद को प्राथमिकता दे सकती हैं।