Women Rights: वर्किंग वुमन और मैटरनिटी के बेनिफिट्स ये अधिकार हैं एहसान नहीं

जब कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौर से गुजर रही होती है, तो वह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी एक बड़ी जिम्मेदारी उठाती है। आइए जानें वर्किंग वुमन और मैटरनिटी के बेनिफिट्स क्या है।

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Udisha Mandal
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Working Women And Maternity Benefits Are Rights, Not Favours

Photograph: (Pinterest)

Working Women And Maternity Benefits Are Rights, Not Favours: जब कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौर से गुजर रही होती है, तो वह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी एक बड़ी जिम्मेदारी उठाती है। खासकर अगर वह वर्किंग वुमन है, तो उसे अपने करियर और मातृत्व दोनों को संभालने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान मिलने वाले मैटरनिटी बेनिफिट्स को कई बार समाज या कार्य स्थल पर एक "एहसान" की तरह देखा जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि ये कानूनी और मानवाधिकार के अंतर्गत महिलाओं को मिलने वाले अधिकार हैं। अगर हम साफ शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा अधिकार है, जिसे कानून मान्यता देता है। आइए जानें वर्किंग वुमन और मैटरनिटी के बेनिफिट्स क्या है।

वर्किंग वुमन और मैटरनिटी के बेनिफिट्स ये अधिकार है एहसान नहीं

1. मैटरनिटी बेनिफिट्स यह एक कानूनी अधिकार है

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भारत में मातृत्व लाभ अधिनियम यानी मैटरनिटी बेनिफिट्स 1961 के तहत कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई अधिकार दिए गए हैं, आइए विस्तार से जानें उन अधिकारों के बारे में।

1. 26 हफ्तों की पेड लीव 

भारत में 2017 में हुए संशोधन के बाद अब महिलाएं 26 हफ्तों की फुल्ली पेड लीव की हकदार हैं। 2017 के संशोधन से पहले यह पेड लीव 12 हफ्ते की थी।

2. स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं मिलती है

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को मेडिकल चेकअप, आराम और पोषण के लिए छुट्टियों की सुविधा मिलती है। इसी के साथ जिस कंपनी में महिला काम कर रही है उस कंपनी को महिला की सेहत का ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी दी गई है।

3. प्रेग्नेंसी के समय नौकरी से निकाला नहीं जा सकता

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अगर कोई महिला मैटरनिटी लीव पर है, तो उसे उस दौरान कोई भी कंपनी उन्हें नौकरी से निकाल नहीं सकती। ऐसा करना कानून के खिलाफ है।

4. कंपनी के पास क्रेच (Daycare) की सुविधा होना

50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को कार्य स्थल के पास क्रेच की सुविधा देनी होती है, ताकि माँ काम करने के साथ अपने शिशु की देखभाल भी कर सके।

5. वर्क फ्रॉम होम का विकल्प देना

यदि किसी को महिला को आवश्यक हो और उस महिला की भूमिका ऐसी हो जिसे घर से किया जा सकता है, तो उसे वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी जा सकती है।

2. महिलाओं के लिए यह एक अधिकार है, एहसान नहीं?

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मानव के अधिकारों का हिस्सा- मातृत्व एक प्राकृतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। इसे निभाने के लिए जरूरी सुविधाएं देना एक काम देने वाले की जिम्मेदारी होती है यानी कंपनी के मालिक की, यह महिला पर किया गया कोई कृपा नहीं है।

महिला को समान अवसर देना- अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान नौकरी से निकाल दिया जाए, तो यह उनके साथ जेंडर भेदभाव है।

महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देना- इस दौरान महिलाएं अगर कोई महिला अपनी आय से वंचित हो जाएं, तो इससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और परिवार की सुरक्षा दोनों एक साथ प्रभावित हो सकती है।

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सशक्तिकरण का आधार-मैटरनिटी लीव के अधिकार महिलाओं को अपने प्रोफेशनल और पर्सनल जीवन में संतुलन बनाने का अवसर देते हैं, जिससे वह बिना किसी डर के अपने करियर को मां बनने के बाद आगे बढ़ा सकती हैं।

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