Supreme Court Bans Addressing Women With These Words: बरसों से महिलाओं को समाज के सामने में कई शब्दों से संबोधित किया जाता है जोकि आपत्तिजनक होने के साथ एक नारी के चरित्र पर सवाल भी खड़े करते हैंI इसलिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूर ने हाल ही में एक हैंडबुक लांच किया जिसका नाम है 'हैंडबुक ऑन कांबेटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स' जिसका उद्देश्य उन्हीं शब्दों पर पाबंदी लगाना है जो एक महिला के चरित्र को जज करते हैं परिणामस्वरूप उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जिसकी वह हकदार हैंI स्वतंत्रता दिवस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जस्टिस चंद्रचूड़ के इस मुहिम को अपना समर्थन दिखायाI
सुप्रीम कोर्ट ने इस हैंडबुक के बारे में चर्चा करते हुए व्यक्त किया उनका मूल उद्देश्य
सुप्रीम कोर्ट ने इस लैंगिक रूढ़िवादिता से निपटने के लिए अपने जारी की गई हैंडबुक के पीछे उनका उद्देश्य केवल एक ही है कि "महिलाओं के बारे में कानूनी तर्क और लेखन हानिकारक धारणाओं से मुक्त होI"
हमेशा से ही महिलाओं को नीचा दिखाने के उद्देश्य से कुछ ऐसे निम्न स्तर के शब्दों का व्यवहार किया जाता है जिससे वह समाज एवं कानून की आंखों में अपने आप गिर जाए ऐसे में उन शब्दों पर रोक लगाना अनिवार्य है क्योंकि बिना कोई अपराध सिद्ध हुए एक औरत के चरित्र पर लांछन लगाना अमान्य हैI
इसी बात पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना बयान देते हुए कहा कि "यदि न्यायाधीशों द्वारा हानिकारक रूढ़िवादिता पर भरोसा किया जाता है तो इससे कानून की उद्देश्य और निष्पक्षता बिगड़ जाएगी और भेदभाव और बहिष्कार कायम रहेगाI"
किस तरह के शब्दों पर लगाई गई रोक
किसी भी औपचारिक कार्य के लिए जैसे कि दलीलें पेश करना या फिर आदेश देने के दौरान इस हैंडबुक का व्यवहार किया जाएगा और इसमें बताए गए शब्दों को प्रयोग करके औरतों को संबोधित किया जाएगा ताकि किसी तरह के अनैतिक शब्दों का प्रयोग ना होI उदाहरण के तौर पर 'स्लट' शब्द का प्रयोग वर्जित है इसके विकल्प में केवल 'महिला' शब्द इस्तेमाल किया जाएगा, 'ज़बर्दस्ती रेप' की जगह 'रेप', 'अनैतिक महिला' की जगह 'महिला' ट्रांसेक्सुअल की जगह 'ट्रांसजेंडर', 'बिन ब्याही मां' की जगह 'मां', 'हाउस वाइफ' की जगह 'होम मेकर' और 'इव टीजिंग' की जगह 'स्ट्रीट सेक्सुअल हैरेसमेंटI'