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महिलाओं के Sexual Assault की हर खबर के साथ उनकी सुरक्षा के दावे कुछ कदम पीछे

एक महिला जब सोशल मीडिया, अखबार, टीवी या इंटरनेट पर रोजाना एक से ज्यादा खबरें सेक्सुअल एसॉल्ट या रेप के बारे में पढ़ती हैं और हर खबर के साथ उसका यह डर बढ़ता ही जाता है।

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Rajveer Kaur
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Rape Victim

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Declining Women's Safety Condition With Every News Headline Of Women Assault: एक महिला जब सोशल मीडिया, अखबार, टीवी या इंटरनेट पर रोजाना एक से ज्यादा खबरें सेक्सुअल एसॉल्ट या रेप के बारे में पढ़ती हैं और हर खबर के साथ उसका यह डर बढ़ता ही जाता है। वह रोजाना घर से बाहर जाती है लेकिन हर समय दिमाग में यह ख्याल होता है कि कोई गलत जगह पर हाथ ना लगाए या गलत शब्दों का इस्तेमाल मत करे, बुरी नजर से ना देखे, पीछा मत करें या फिर एसिड अटैक ना हो जाए और आखिर में रेप भी हो सकता है। ऐसे डर के साथ हर महिला आज के समय में घर से बाहर निकल रही है। ऐसी खबरें पढ़ने के कारण रात को सोने से पहले मन में बुरे-बुरे ख्याल आते हैं।

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महिलाओं के Sexual Assault की हर खबर के साथ उनकी सुरक्षा के दावे कुछ कदम पीछे



ऐसी खबरें किसी के लिए व्यूज लेने का जरिया हो सकती हैं या फिर ट्रेंड हो सकती हैं लेकिन एक महिला के लिए यह एक बुरा ख्वाब है। यह एक चिंता का विषय है। अगर आप एक माँ है तो आप अपनी बेटी के लिए यह सोच रखते हैं कि आज अपनी बेटी को अगर घर से बाहर भेज रही हूं कि क्या वह सुरक्षित वापस आएगी? आज के समय में ऐसी कोई उम्र नहीं है जहां पर महिलाओं के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं हो रहा है। हर दिन स्कूल जाती लड़कियों से लेकर एक बूढी दादी तक इन हरकतों का शिकार हो रही है।

यह सब हरकतें समाज में इस बात को दिखाती है कि कैसे हम महिलाओं को सुरक्षित माहौल नहीं दे पा रहे हैं। हम इस बात को कहते जरूर है कि हमारे यहां पर महिलाओं को देवी माना जाता है लेकिन उनके साथ व्यवहार इंसानों वाला भी नहीं होता है। हम चाहते हैं कि लड़कियां आगे बढ़े लेकिन हम अपने घर में लड़की पैदा होना बर्दाश्त नहीं करते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे घर की बहू बेटी या फिर पत्नी के साथ कोई गलत व्यवहार ना हो लेकिन हम दूसरों के घर की औरतों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं।

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हम बहुत ज्यादा इंसेंटिव हो चुके हैं। हमें रेप होने के बाद भी गलती लड़की की ही निकालते हैं। हमें लगता है लड़का है, वह तो ऐसा करेगा। ऐसे करते-करते हमने लड़कों का हौसला इतना बुलंद कर दिया है। उन्हें लगता है कि अगर हम एक महिला का रेप कर रहे हैं तो उन्हें चुपचाप सहन करना चाहिए। उसका विरोध नहीं करना चाहिए। ऐसी मानसिकता के साथ आप कैसे कह सकते हैं कि सभी पुरुष ऐसे नहीं है। हमें क्या पता कि कौन पुरुष हमारे लिए सुरक्षित है?

अगर हम चाहते हैं कि महिलाएं सुरक्षित रहें तो पुरुषों को अब खुद में बदलाव लाने पड़ेंगे। उन्हें सबसे पहले यह स्वीकार करना होगा, हम महिलाओं के साथ गलत करते हैं। इसके साथ ही महिलाएं कोई प्रॉपर्टी नहीं है। हमारा इनके ऊपर कोई अधिकार नहीं है। हम उनकी मर्जी के बिना कुछ भी नहीं कर सकते हैं और साथ ही अगर लड़की ने छोटे कपड़े पहने हैं या रात को बाहर जा रही है या लड़कों के साथ घूम रही है तब भी उसकी तरफ से किसी भी तरह के सेक्सुअल एक्ट के लिए हां नहीं होती है।

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