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Double Standards Of Society: क्यों सभी ब्यूटी स्टैंडर्ड महिलाओं पर लागू होते हैं?

जब ब्यूटी स्टैंडर्ड की बात आती हैं तो हमेशा औरतों पर ही इन्हें लागू किया जाता है। औरतों को ही बताया जाता है कि उनका रंग ऐसा होना चाहिए, उनकी बॉडी की शेप ऐसी होनी चाहिए, वजन न ज्यादा और न कम होना चाहिए लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई ब्यूटी स्टैंडर्ड नहीं है।

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Rajveer Kaur
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Beauty Standards

(Image Credit: Freepik)

Double Standards Of Society: जब ब्यूटी स्टैंडर्ड की बात आती हैं तो हमेशा औरतों पर ही इन्हें लागू किया जाता है। औरतों को ही बताया जाता है कि उनका रंग ऐसा होना चाहिए, उनकी बॉडी की शेप ऐसी होनी चाहिए, वजन न ज्यादा और न कम होना चाहिए लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई ब्यूटी स्टैंडर्ड नहीं है। ऐसा कोई पुरुषों को नहीं बोलता है कि तुम्हें अपने शरीर को इस तरह से मेंटेन करना चाहिए तो चलिए जानते हैं कि महिलाओं को बेटी स्टैंडर्ड फेस करने पड़ते हैं-

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क्यों सभी ब्यूटी स्टैंडर्ड महिलाओं पर लागू होते हैं?

बचपन से जब लड़की जवानी की तरफ बढ़ना शुरू कर देती हैं तब से ही उसे ब्यूटी स्टैंडर्ड (Beauty Standards) के बीच में ही बड़ा किया जाता है। अगर उसका रंग काला है तो उसे स्पेसिफिक फेस वॉश या फिर कुछ होम रेमेडीज का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है ताकि उसका रंग साफ हो जाए। उसका पेट ज्यादा बाहर नहीं निकला होना चाहिए लेकिन बट थोड़े उबरने चाहिए। इसके साथ ब्रेस्ट ज्यादा हेवी और स्मॉल नहीं होनी चाहिए। उनके पास जाने से अच्छी स्मेल आनी चाहिए। बॉडी पर हेयर नहीं होने चाहिए। इन सब ब्यूटी स्टैंडर्ड को लड़की के बड़े होने तक उसके अंदर भर दिया जाता है जिस कारण वो खुद से ही नफरत करने लग जाती है। उसे लगता है कि अगर मैं ऐसे नहीं देखूंगी तो मैं सुंदर नहीं हूं। मुझसे कोई शादी नहीं करेगा। इन सब से कॉन्फिडेंस बहुत नीचे गिर जाता है।

हम सब अपनी लड़कियों को जिस तरीके से बड़ा कर रहे हैं, इससे हम उन्हें असलियत से दूर लेकर जा रहे हैं। जब लड़कियां खुद को परफेक्ट दिखाने के लिए इन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं या फिर सर्जरी करवाने लग जाती हैं तब वो रियल नहीं रहती हैं। हम उनकी सादगी को खराब कर देते देते हैं।

अब बात यह आती है कि पुरुषों के लिए ऐसा कुछ क्यों नहीं है? क्यों हर तरीके से महिला को ही प्रताड़ना सहन करनी पड़ती है? ब्यूटी स्टैंडर्ड किसी के लिए भी नहीं होने चाहिए। यह समाज का दोगलापन है जिसका मतलब है कि समाज का नजरिया दोनों के लिए अलग होता है। अगर हम चाहते हैं कि समाज में महिला और पुरुष बराबर रहें तो हमें ब्यूटी स्टैंडर्ड को खत्म करना होगा क्योंकि यह दोनों के लिए खतरनाक है। लड़का हो चाहे लड़की उन्हें ऐसा महसूस करवाने चाहिए वो जिस तरीके से पैदा हुए हैं वैसे ही सुंदर लगते हैं। उन्हें अपनी बॉडी में सहज होना चाहिए। सुंदर बनने के लिए मेकअप या सर्जरी की जरूरत नहीं है। हर इंसान में कुछ कमियां होती है जिससे वो परफेक्ट बनता है।

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