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'बेटियाँ बोझ नहीं होंगी' अगर हम उनकी परवरिश ढंग से करेंगे

हमारे समाज में बेटियों को बोझ की तरह देखा जाता है। जब किसी के घर में बेटी पैदा होती है तो लोग ज्यादा खुश नहीं होते हैं बल्कि उस परिवार को सहानुभूति देने लग जाते हैं।

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Rajveer Kaur
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Mother daughter

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Ensure to include these essential aspects in the parenting of your daughter: हमारे समाज में बेटियों को बोझ की तरह देखा जाता है। जब किसी के घर में बेटी पैदा होती है तो लोग ज्यादा खुश नहीं होते हैं बल्कि उस परिवार को सहानुभूति देने लग जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान अगर बेटा दे देता तो ज्यादा बढ़िया होता या फिर अगली बार आपके बेटा ही हो।अगर किसी के घर में बेटा नहीं है तो उन्हें बहुत ही बुरा महसूस करवाया जाता है। इसके लिए माँ को दोष किया जाता है कि तुम एक बेटे को भी नहीं जन्म दे सकती। इस सोच के कारण बहुत सारी महिलाएं प्रताड़ना सहन कर रही हैं और उनके साथ उत्पीड़न भी हो रहा है। आज हम इस विषय के ऊपर बात करेंगे कि कैसे अगर महिलाओं की परवरिश ढंग सही तरीके की जाए तो कैसे वे बोझ नहीं बल्कि आपका सहारा बनेगी।

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'बेटियाँ बोझ नहीं होंगी' अगर हम उनकी परवरिश ढंग से करेंगे

उन्हें पढ़ाई कारवाई जाएं

बहुत सारे घरों में लड़की की पढ़ाई को इतनी अहमियत नहीं दी जाती है। उन्हें घर के काम सिखाने के ऊपर ज्यादा जोर दिया जाता है। ऐसे में लड़कियां खुद को कभी सशक्त कर ही नहीं पाती हैं। आज भी बहुत सारे इलाके ऐसे हैं जहां पर महिलाएं मीलों दूर पानी लेने के लिए जाती हैं किस कारण वो अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाती है। इसके साथ ही महिलाएं पीरियड्स के कारण भी स्कूल नहीं जा पाती। ऐसे में हमें उन्हें सपोर्ट करने की जरूरत हैं ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सके पर आगे जाकर खुद के पैरों पर स्टैंड हो सके।

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सपने पूरे करने का मौका

हमारे पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के ऊपर बहुत सारी रोक लगाई जाती हैं। उन्हें हर काम के लिए मना किया जाता है जैसे तुम्हें ऐसे कपड़े नहीं पहनने हैं, इस प्रोफेशन को नहीं चुनना है, रात को बाहर घूमने नहीं जाना है और ज्यादा लोगों से बात नहीं करनी है आदि। यह सब चीजें महिलाओं को पीछे खींचती हैं। अगर हमें महिलाओं को सपोर्ट करें और उन्हें सपने पूरे करने का मौका दें तो लड़कियां भी लड़के की तरह कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगी और आज के समय में ऐसा हो भी रहा है। बहुत सारी महिलाएं जिन्होंने समाज की परवाह नहीं की और खुद को सुना, आज वे किसी के ऊपर बोझ नहीं हैं बल्कि खुद की जरूरत का ध्यान रख रही हैं।

अर्थिक रूप सशक्त

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जब एक महिलाएं कमाने लग जाती हैं तब वो बोझ नहीं रह जातीं। वे अपनी जरूरत के लिए पिता, भाई या पति पर निर्भर नहीं करती। उन्हें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता बल्कि वो घर में भी आर्थिक रूप से मदद करती हैं। आज के समय में आप ऐसी बहुत सारी महिलाओं को देख सकते हैं जो अपने घर के खर्चों को उठाती हैं। शादी के बाद घर को भी संभालती हैं और जॉब भी कर रही हैं तो ऐसे में अगर आज भी जो लोग महिलाओं को बोझ समझ रही हैं तो उन्हें अपना नजरिया बदलने की जरूरत है।

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