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कैसे उम्र के हिसाब से महिलाओं के प्रति Beauty Standards बदल जाते हैं?

हमारे समाज में ब्यूटी को लेकर बहुत ऑब्सेशन है। खासकर सुंदर होने का प्रेशर महिलाओं पर बनाया जाता है। इसके लिए समाज में ब्यूटी स्टैंडर्ड भी बनाए गए हैं। इनमें बताया जाता है कि कैसे कोई महिला सुंदर होती है।

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Rajveer Kaur
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 Beauty Standards

(Image Credit: Freepik)

How Do Age-Related Beauty Standards Affect Women?: हमारे समाज में ब्यूटी को लेकर बहुत ऑब्सेशन है। खासकर सुंदर होने का प्रेशर महिलाओं पर बनाया जाता है। इसके लिए समाज में बेटी स्टैंडर्ड भी बनाए गए हैं। इनमें बताया जाता है कि कैसे कोई महिला सुंदर होती है। उसकी एक डेफिनेशन भी है जैसे उसका रंग गोरा होना चाहिए, चेहरे पर कोई दाग धब्बे नहीं होने चाहिए, नाक तीखा होना चाहिए, परफेक्ट Jawline होनी चाहिए। इसके साथ ही ब्यूटी स्टैंडर्ड को उम्र के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। हर उम्र की महिला के लिए एक अलग ब्यूटी स्टैंडर्ड हैं। इससे महिलाओं के ऊपर इतना ज्यादा प्रेशर बन जाता है कि वो अपनी खूबसूरती को उनके साथ ही जोड़कर देखने लग जाती हैं। आज हम जानेंगे कि कैसे उम्र के साथ महिलाओं की ब्यूटी स्टैंडर्ड भी बदलने लग जाते हैं-

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कैसे उम्र के हिसाब से महिलाओं के प्रति Beauty Standards बदल जाते हैं?

हमारे समाज में महिलाओं की हर चीज को डिफाइन किया गया है कि उन्हें कैसे बैठना है, बात कैसे करनी है, कैसे दूसरों के सामने पेश आना है, कितना बोलना चाहिए, रंग कैसा होना चाहिए और बॉडी शेप कैसे होनी चाहिए। इन सब के कारण महिलाएं सदियों से प्रताड़ना सहनकर करती आ रही हैं और जो महिलाएं ब्यूटी स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं होती है तो उन्हें समाज में बहुत कुछ सहन करना पड़ता है। एक तरह से उन्हें Bully भी किया जाता है लेकिन यह स्टैंडर्ड किसने बनाए हैं? हम सबको एक बात समझाने की जरूरत है कि हम सब यूनिक है। कोई भी व्यक्ति अगर उन ब्यूटी स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं है तो उसे उसके खिलाफ नफरत पैदा करने का हक किसी को नहीं है।हम सब प्यार के हकदार हैं। हम सब अलग हैं और हमें इस बात को समझना चाहिए। हम सब अपने तरीके से खूबसूरत हैं लेकिन समाज में अभी भी कुछ लोग इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं।

हमारे समाज में बहुत सारी ऐसी औरतें हैं जो अपनी उम्र के हिसाब से खुद को दिखाना चाहती हैं। इसके लिए वो बहुत सारे प्रयास करती हैं। उनका हर एक स्टेप इस बात की सोच कर लिया जाता है कि समाज में यह मत कहा जाए कि इसकी उम्र देखो और इसके काम। इसलिए वह हर चीज उम्र के हिसाब से करने की कोशिश करती हैं चाहे कपड़े के कलर को चूज करना हो, मेकअप करना हो, कितनी लंबाई की ड्रेस होनी चाहिए या फिर कितना क्लीवेज दिखाना चाहिए। इन सब के बावजूद भी समझ में महिलाओं को कभी भी सराहना नहीं मिलती है बल्कि चरित्र पर सवाल उठ जाते हैं।

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इसलिए महिलाओं को कभी भी परफेक्ट या फिर अपनी उम्र के हिसाब से तैयार होने की जरूरत नहीं है उन्हें अपने दिल को सुनने की जरूरत है कि वो कैसे खुद को दूसरों के सामने प्रेजेंट करना चाहती है, यह सबसे ज्यादा जरूरी है, अगर आप का दिल ही खुश नहीं है तो आप दुनिया को जितना मर्जी खुश कर लीजिए लेकिन आपको संतुष्टि नहीं मिलेगी, आपको अपने लिए फैसला लेने का अधिकार पूरी तरह से है और इसके लिए आपको किसी को भी सुनने की जरूरत नहीं है।

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