Educating Children Make The Difference In Conditions Of Women: आप भी सोच रहे होंगे कि कैसे बच्चों को शिक्षित करने से महिलाओं के हालातो में फर्क आ सकता है लेकिन यह बात बिल्कुल सही है। आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे और आपके साथ शेयर करेंगे कि कैसे समाज में बच्चों को सही एजुकेशन देने से इसका असर महिलाओं के हालातो पर भी पड़ेगा।
बच्चों को शिक्षित करने से महिलाओं के हालातो में क्या फर्क आ सकता है
आने वाला भविष्य
बच्चे देश का आने वाला भविष्य है। आगे जाकर यही लोग देश को रिप्रेजेंट करेंगे और युवा बनेंगे। जब इन्हें सही एजुकेशन दी जाएगी इनकी परवरिश में यह सिखाया जाएगा कि औरत और मर्द दोनों बराबर होते हैं, इनमें शारीरिक रूप से फर्क हो सकता है लेकिन किसी के जेंडर से उसकी काबिलियत को नहीं जज किया जा सकता। लड़कियों को लड़कों के जीवन के बारे में पता होना चाहिए कि उन्हें क्या-क्या शारीरिक और मानसिक बदलावों में से गुजरना पड़ता है, वहीं लड़कों को भी लड़कियों के शारीरिक और मानसिक बदलावों की जानकारी होनी चाहिए।इसके साथ ही सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है।
अकेली पढ़ाई काफी नहीं
जिंदगी में सिर्फ पढ़ाई ही काफी नहीं होती। इसके साथ उन्हें आसपास की जानकारी देना भी बहुत जरूरी है जैसे किसी के साथ व्यवहार कैसे करना है, जीवन में कठिनाइयों से कैसे निपटना है, पॉजिटिव अप्रोच कैसे रखी जा सकती है. मानसिक तौर पर ठीक होने पर न होने पर क्या करना चाहिए, अपने आप को स्वीकार करना है, बॉडी पॉजिटिविटी क्या होता है आदि. इसके अलावा इन सब चीजों के बारे में भी उन्हें जागरूक करना बहुत जरूरी है। मान लीजिए अगर आप किसी 50 साल के व्यक्ति से बात कर रहे हैं वह पढ़े-लिखे हैं। उन्होंने अपने जीवन में बहुत सक्सेस हासिल की है। जब आप उनसे बात करते हैं आपको पता चलता है कि उनके पास एजुकेशन तो होती है लेकिन औरतों के प्रति उनका नजरिया बहुत छोटा है। यही बात है कि बच्चों को सिर्फ पढ़ाई तक की सीमित मत रखिए। उनकी परवरिश में सिखाएं कि औरत और मर्द दोनों बराबर होते हैं।
बदलाव आना आवश्यक
जब हमारी एक जेनरेशन की ऐसे परवरिश की जाएगी तो आने वाले सालों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।उन्हें शुरुआत से शुरुआत करने की जरूरत नहीं है। जब उनके अंदर ऐसी चीज भरी जाएगी तो आने वाली जनरेशन को ऐसी शिक्षा अपने आप मिलती जाएगी। हमें कोई अलग से अवेयरनेस कैंपेन और मूवमेंट्स चलाने की जरूरत नहीं। अगर हम अपनी पेरेंटिंग में ट्रेडीशनल अप्रोच को नहीं छोड़ेंगे तो बदलाव आना असंभव है। इसलिए बच्चों की एजुकेशन और परवरिश ऐसी कीजिए कि उन्हें इक्वलिटी के बारे में सीखना ना पड़े। उनके अंदर यह चीज मौजूद हो।