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Women's Day Special: महिलाओं का रूल तोड़ना समाज को आता है पसंद?

रूल ब्रेकर होना कभी भी गलत नहीं होता है लेकिन आपको इसके नतीजे पता होने चाहिए। इससे किसी दूसरे का नुकसान नहीं होना चाहिए। हम तब रोल तोड़ते हैं जब हमें वह चीज करनी अच्छी लगती है लेकिन उसे करने पर मना किया जाता है।

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Rajveer Kaur
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Rule Breaker

(Image Credit: Adobe Stock)

How Society Perceive Rule Breaking Women?: हमारे आसपास उन औरतों को सेलिब्रेट किया जाता है जिन्हें समाज के अनुसार रहना अच्छा लगता है, जो कभी भी उन चीजों के खिलाफ आवाज नहीं उठाती जिन्हें महिलाओं को करने से मना किया जाता है। समाज को अच्छा लगता है जब औरत उनके कंट्रोल में रहती है, हर बात को स्वीकार कर लेती है और कभी यह नहीं पूछती कि ऐसे क्यों? लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कभी औरत ने समाज को जवाब नहीं दिया या उसके बनाए हुए रूल्स को तोड़ने की कोशिश नहीं की है। जिस समाज ने रूल्स बनाए कुछ औरतों ने उन्हें तोड़ा। ऐसी औरतों के बारे में बहुत सारी बातें समाज में बनाई जाती हैं। आइये जानते हैं इन औरतों को कैसी नजर से देखा जाता है-

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Women's Day Special: महिलाओं का रूल तोड़ना समाज को आता है पसंद?

बचपन से हर व्यक्ति को समाज के नियमों के अनुसार रहना सिखाया जाता है जैसे ज्यादा छोटे कपड़े नहीं पहनने, रात को जल्दी घर आना, ज्यादा किसी से बात नहीं करनी आदि। कुछ घरों में बहुत ज्यादा रिस्ट्रिक्शंस महिलाओं पर लगाई जाती है। उन्हें उनके मन का कुछ भी करने नहीं दिया जाता है जैसे डांस, जर्नलिज्म, ऐक्टिंग, स्पोर्ट्स और इंजीनियरिंग आदि नहीं करने देना। बहुत सारी औरतों को बाल छोटे नहीं रखने दिया जाता, बिकनी की घर पर बात भी नहीं हो सकती, शॉर्ट स्कर्ट और ड्रेस की परमिशन नहीं है। स्विमिंग महिलाएं नहीं कर सकती। 

कुछ लोग ऐसे होते हैं वह सब कुछ करते हैं जो सोसाइटी उन्हें मना करती है। इससे दूसरे लोग उनसे इंस्पायर होते हैं और एक मिसाल खड़ी करती हैं। रूल ब्रेकर होना कभी भी गलत नहीं होता है लेकिन आपको इसके नतीजे पता होने चाहिए। इससे किसी दूसरे का नुकसान नहीं होना चाहिए। हम तब रोल तोड़ते हैं जब हमें वह चीज करनी अच्छी लगती है लेकिन उसे करने पर मना किया जाता है। अगर हम सब महिलाओं को वह करने की आजादी दे जो वह करना चाहती है इससे उनकी जर्नी भी आसान हो सकती है। 

उनकी जिंदगी में पहले से ही कठिनाइयों बहुत है जैसे कि पीरियड्स, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज। इन सब से गुजरना आसान नहीं होता है। ऐसे में हम जब उन्हें समझते नहीं है। उन्हें हर वक्त अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं जिससे उनके लिए कठिनाइयों पैदा हो जाती है। कुछ महिलाएं हालातों से डरती नहीं, वे अपने लिए खड़ी होती हैं और वो करती हैं जो उन्हें करना अच्छा लगता है।

आज की महिला बाइक भी चलाती हैं पहाड़ों पर ट्रैकिंग भी करती हैं, सोलो ट्रैवल भी करती हैं। आर्मी और पुलिस में भी महिलाएं जाती हैं। वह कुछ भी कर सकती हैं। हर एक महिला जो खुद के लिए खड़ी होती हैं, समाज के बुने हुए ताने-बाने को तोड़ती हैं। वह रूल ब्रेकर हैं। समाज में चाहे इसे जायज माना जाए या नहीं लेकिन यह महिलाएं तारीफ के काबिल हैं और इनके हौसले को सलाम है।

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