How to Stop Judging Girls by Their Clothes: भारतीय समाज में लड़कियों के कपड़ों को लेकर ऑब्सेशन आज की बात नहीं है। लड़कियों के साथ होने वाले गलत व्यवहार के लिए उनके कपड़ों को जिम्मेदार ठहराना आम बात है। भारतीय माता-पिता के लिए लड़की के कपड़े बहुत ही चिंताजनक विषय होता है जिसके ऊपर बहुत ज्यादा चर्चा की जाती है कि किस उम्र में लड़की को किस तरीके के कपड़े पहनने चाहिए।
बचपन में लड़कियों को फिर भी अपनी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी होती है लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती जाती है, उनके कपड़ों के ऊपर लगाम लगाना उतना ही बढ़ जाता है। उनके कपड़ों की लंबाई उतनी ही बढ़ने लग जाती है। अगर कोई लड़की छोटे कपड़े पहन रही है तो उसे करेक्टर सर्टिफिकेट देना तो समाज की पुरानी आदत है। चलिए आज जानते हैं कि क्यों लड़कियों के कपड़े उनके कैरेक्टर का सर्टिफिकेट नहीं है?
लड़की के कपड़े उसके चरित्र का सर्टिफिकेट नहीं
हर बार जब भी किसी लड़की के साथ कोई जघन्य अपराध होता है तो उसके कपड़े चर्चा का विषय बन जाते हैं लेकिन असलियत में होना यह चाहिए कि अपराधी उस समय ज्यादा चर्चा में होना चाहिए। सबसे पहले यह सवाल पूछा जाता है की लड़की ने क्या पहना था? अगर लड़की ने शॉर्ट ड्रेस पहनी थी या फिर उसने कम कपड़े पहने थे तो उसके साथ ऐसा होना ही था। इसमें लड़के की गलती नहीं है।
अगर लड़की छोटे कपड़े पहनती तो उसके साथ ऐसा नहीं होता। यह एक बहुत ही आम सोच है और इस सोच को बदलने में अभी पता नहीं कितने समय और लगेगा। माता-पिता और लड़की के बीच में यह बहस होती ही है क्योंकि माता-पिता हमेशा लड़की को अपने हिसाब से या समाज के हिसाब से कपड़े पहनने के लिए कहते हैं।
कपड़ों को लेकर समाज में बहुत सारे डबल स्टैंडर्ड हैं। एक पुरुष अपने घर पर बिना कपड़ों के भी बैठ सकता है, घूम सकता है लेकिन लड़की को घर में भी सिर पर दुपट्टा लेकर रहना पड़ता है। लड़के के शॉर्ट्स पहनने पर उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होती लेकिन वही अगर लड़की पहने तो लड़कों को यह लाइसेंस मिल जाता है कि वे आपको छेड़ सकते हैं क्योंकि छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियों का चरित्र गलत ही होता है। ऐसी छोटी और नीचे सोच में आज भी लड़कियों रह रही हैं। बहुत सारी लड़कियां मनपसंद कपड़े इसलिए नहीं पहनती क्योंकि उन्हें पता है कि अगर हमारे साथ कुछ गलत हो जाएगा तो दोष हमारे ऊपर ही आएगा।