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Indian Women: आजादी की राह खोजतीं इन अधिकारों से वंचित हैं आज भी भारतीय महिलाएं

हमें बहुत फर्क होता है कि हम गुलाम से आज़ाद है, लेकिन शर्म भी महसूस होती है कि आजादी का सफर आज भी एक तबके के लिए बहुत लंबा है। आज भी महिलाएं अपने आजादी की राह खोज रही हैं।

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Ruma Singh
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Indian Womens

( Credit Image: File Image)

Indian Women Are Still Deprived Of These Rights: आज हम डिजिटल युग में कदम रख चुके हैं। यहां तक पहुंचने में हमने जीवन के हर एक पहलू को देखा है। जिसमें बहुत सारे परिवर्तन आए, लेकिन आज भी समाज का एक बड़ा तबका इस पितृसत्तात्मक कुंठित सोच से घिरा हुआ है, जहां हर फैसले पुरुष प्रधान समाज द्वारा लिया जाता है। जिसका नतीजा आज भी महिलाएं इस आजाद भारत में रूढ़िवादी सोच के कारण अपने अधिकारों से वंचित हैं। देश में महिलाओं को लेकर कई कानून व नियम बनाए गए, ताकि उनकी स्थिति में सुधार आ पाएं। हां, इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता कि महिलाओं की स्थिति में सुधार आए हैं, लेकिन यह सुधार समाज की किस हिस्से में आया है। यह देखना भी उचित होगा, क्योंकि आज भी ग्रामीण इलाकों में महिलाएं पहले की तरह ही चहारदिवारी में अपने जीवन को बिता रही हैं। उन्हें आज तक अधिकारों से परिचय तक नहीं कराया गया, तो अधिकार देने की तो दूर की बात है। हमें बहुत फर्क होता है कि हम गुलाम से आज़ाद है, लेकिन शर्म भी महसूस होती है कि आजादी का सफर आज भी एक तबके के लिए बहुत लंबा है। आज भी महिलाएं अपने आजादी की राह खोज रही हैं, लेकिन यह पितृसत्तात्मक समाज उन्हें अपना गुलाम बनाए हुए रखा है। वहीं, संविधान ने महिलाओं को समानता का अधिकार दिया है, लेकिन यह अधिकार हमें समाज की बेड़ियों के साथ मिला हैं, जो आज भी हमारे पैरों में जकड़े हुए हैं।

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इन अधिकारों से वंचित हैं आज भी भारतीय महिलाएं 

  • आज भी पुरुष प्रधान समाज में महिलाएं पुरुषों के स्वरूप घर से बाहर नहीं निकल सकतीं, क्योंकि उन्हें बाहर निकलने के लिए घर से इजाजत लेनी पड़ती हैं। अक्सर देखा गया है कि जब भी कोई महिला अपने परिवार से, किसी मित्र या रिलेटिव के यहां एक रात रुकने की बात कहती है, तो उन्हें मना कर दिया जाता हैं, क्योंकि घर, परिवार की इज्जत का जिम्मा महिलाओं के ऊपर ही हमेशा से मढ़ा गया है। 
  • महिलाओं की सुरक्षा आज के समय में काफी संवेदनशील विषय है, क्योंकि वर्तमान समय के भयावह स्थिति को देखकर खासतौर पर अनुमान लगाया जा सकता है कि आज महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं। इसके लिए कोई कानून लाने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि लोगों की मानसिकता और सोच महिलाओं को लेकर वही रहेगीं, इसलिए जरूरत है तो मानसिकता को सुधारने की। कोई भी देश की स्थिति व विकास का आकलन वहां की महिलाओं की स्थिति को देखकर लगाया जाता है, इसलिए इसका समाधान किए बिना देश सफलता के राह पर कभी आगे नहीं बढ़ सकता।
  • किसी भी महिला के जीवन का सबसे बड़ा फैसला शादी होता है, लेकिन यह फैसला आज भी हमारे घर में मौजूद पुरुष लेते हैं, क्योंकि उन्हें अपने खुद की पसंद से शादी करने का अधिकार नहीं होता। आज भी यह समाज इस जातिवाद भेदभाव को लेकर आगे बढ़ रहा है। जहां रिश्ते जाति व धर्म देखकर बनाए जाते हैं, क्योंकि अपनी पसंद की शादी करने से यह पुरुष प्रधान समाज उस रिश्ते को कई नामकरण से मैला कर देते हैं।
  • हम ऐसे समाज में रहते हैं, जहां महिलाओं के चरित्र को उनके वस्त्र के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यदि वह अपने पसंद से छोटे कपड़े का चुनाव करती है, तो चरित्रहीन। वहीं, उनके पसंद के कपड़े में महिलाएं सुशील नजर आती हैं।
  • अधिकतर घर व परिवार में महिलाओं को अपने विचार तक व्यक्त करने का अधिकार नहीं दिया जाता। जिस तरह पुरुष अपने विचार को खुलकर घर में रख पाते हैं। क्या एक महिला अपने विचारों को उन्हीं के स्वरूप अभिव्यक्त कर पाती है। जिसमें ज्यादातर महिलाओं का जवाब ना होगा, क्योंकि उनके विचार को घर व समाज में महत्व ही नहीं दिया जाता है।
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