Ab Soch Badlo Yaar: हमारे समाज की सोच शुरू से ऐसी बन चुकी है कि लोगों को यही लगता है कि घर-परिवार का वंश आगे बढ़ाने के लिए लड़की नहीं लड़का ज़रूरी है। इस सोच का आधार तो कुछ ख़ास नहीं दिखता, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लॉजिक्स और विचार बन चुके हैं जिन्हें लोग आगे से आगे मानते हैं और यही सोचते हैं कि परिवार को आगे बढ़ाने के लिए एक लड़का होना तो ज़रूरी है। अगर घर में शादी के बाद पहला बच्चा लड़का हो जाए तो लोग दूसरे बच्चे के बारे में नहीं सोचते। वहीँ अगर पहला बच्चा लड़की हो तो सब लोग फिकरमंद हो जाते हैं और प्रार्थनाएं करने लगते हैं कि दूसरा बच्चा लड़का ही हो जाए।
सिर्फ बेटा नहीं, बेटी भी वंश बढ़ा सकती है।
(Not Only Son, Daughter Also Can Carry On Family Lineage)
इस समाज में बहुत पहले से घर के मुखिया के तौर पर लड़के को ही देखा गया है और यही समझा जाता है कि लड़का नहीं होगा तो इस वंश का पौधा आगे नहीं लगेगा और उनका वंश कहीं गुम जाएगा। आइए जानते हैं कि इन बातों के पीछे के कारण क्या हो सकते हैं।
अगर आप भी अपने आस-पास ऐसी बातें सुनते हैं तो इसका पहला कारण बेशक पैट्रिआर्की है, यानि कि पित्तरसत्ता। इसमें सदियों से सोच चलती आ रही है कि किसी भी वंश को चलाने वाला घर का लड़का होता है और बेटियां इस वंश को आगे नहीं बढ़ा सकतीं। अक्सर घर के बड़े बेटे को पिता के बाद घर के फैसले लेने का अधिकार होता है, जिसके चलते वो घर का मुखिया कहलाता है और घर के अच्छे-बुरे फैसले वही लेता है।
बेटे के वंश को चलाने के पीछे लोगों की यह सोच भी है कि लड़की तो चिड़िया है, एक दिन अपने घर चली जायेगी। इसी सोच के चलते लड़की को तो जन्म से ही यह सुनने को मिलता है कि तू तो पराई है, इस घर का मालिक तो इस घर का बेटा है। उसे बार-बार यह सुनाया जाता है कि वो तो शादी के बाद अपने ससुराल की मालिकन बनेगी और अपने पति की सेवा करेगी। इसी लिए लड़की को अपने वंश में तो कोई मानता ही नहीं। जिस घर में वो जन्म लेती है, उसी घर के लिए वो जन्म लेते ही पराई समझी जाती है।
इस समाज के सब लोग यही सोच रखते हैं कि घर का बेटा ही इस घर का मुखिया बनेगा। ऐसे में लोग लड़के की कामना शुरू से ही करते हैं और कई जगह तो जब तक लड़का नहीं होता, तब तक बच्चे पैदा करते हैं। इसी चक्कर में कई बार कई लड़कियों को जन्म दे बैठते हैं। उन लोगों की तो जैसे ज़िद्द ही होती है कि हमें लड़का ही चाहिए, जैसे उनका वंश चलना ही सबसे ज़रूरी हो।
Ab Soch Badlo Yaar
अब हमें यह सोच बदलने की ज़रूरत है कि घर में लड़का ही नहीं, बल्कि लड़की भी वंश आगे बढ़ा सकती है। जितना DNA अपने माँ-बाप का एक बेटे में होता है, उतना ही बेटी का भी। इसलिए ज़रूरत पड़ने पर बेटी भी अपने माँ-बाप का नाम रौशन कर सकती है और उसके नाम के साथ अपने माता-पिता का नाम लेकर आगे बढ़ सकती है।
लड़की अपने पति की जागीर नहीं है, जो उसके फैसले ले और उसे अपने हिसाब से चलाए। आजकल की लड़की इंडेपेंडेंट है और अपने फैसले भी लेना जानती है। इसलिए बेटी भी अपने माँ-बाप के घर के फैसले लेने में सक्षम है। हम यह नहीं कहते कि लड़की अपना ससुराल छोड़कर अपने मायके के फैसले ले, लेकिन अगर घर में कोई बेटा नहीं है तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। बेटियां भी आपका नाम रौशन कर सकती है और आपके वंश को बढ़ाएंगी। उनकी रगों में भी अपने माता-पिता का खून ही तो है न।
अगर लड़की अपने ससुराल में भी है तो वो अपने बच्चों में वो ही संस्कार डालेगी जो अपने उसे दिए होंगे। उसमें और उसके बच्चों में बेशक आपकी और आपके परिवार की आदतें शामिल होंगी। इसलिए आज यह सोच बदलने की सख्त ज़रूरत है कि बेटियां वंश नहीं चला सकतीं।