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Photograph: (Freepik)
Patriarchy केवल महिलाओं के खिलाफ नहीं, बल्कि पुरुषों पर डाले गए उन दबावों के रूप में भी मौजूद है जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। फर्क बस इतना है कि यह दर्द चुप्पी में छिपा रहता है। हमारे समाज में मर्दों को लगातार सिखाया जाता है कि मर्द को दर्द नहीं होता, कमज़ोरी मत दिखाओ, रोना मत। बचपन से ही उन्हें बताया जाता है कि भावनाएँ दिखाना “मर्दानगी” के खिलाफ है। यही वजह है कि पुरुषों की चुप्पी को ताकत मान लिया गया है, जबकि असल सवाल ये है कि क्या यह चुप्पी उन्हें मजबूत बना रही है या अंदर ही अंदर कमजोर?
Patriarchal Impact: क्या मर्दों की “चुप्पी” सच में उन्हें strong बनाती है या emotionally कमजोर?
1. चुप्पी में छिपी Patriarchy
“लड़के रोते नहीं” जैसी छोटी लाइन सबसे गहरी चोट छोड़ती है। लड़के धीरे-धीरे सीख जाते हैं कि डर, असुरक्षा और दुख जैसी भावनाएँ दिखाना गलत है। इससे उनकी इमोशनल एक्सप्रेशन की क्षमता कम होने लगती है। यहाँ तक कि कुछ लोग तो अपनी भावनाओं को पहचानना भी भूल जाते हैं। यही दबाव आगे चलकर रिश्तों और self-esteem तक को प्रभावित करता है।
2. Strong दिखने का प्रेशर
समाज ने मर्दों के strong होने की एक सीमा तय कर दी है। जिसके हिसाब से मर्दों को फीलिंग्स दिखाने, हेल्प मांगने और हर चीज अकेले संभालने के लिए कहा जाता है। यह दबाव बाहर से toughness दिखाता है, लेकिन अंदर anxiety, स्ट्रेस और कभी-कभी aggression पैदा करता है। यह चुप्पी मर्दों को मजबूत नहीं, बल्कि भीतर से fragile बनाती है।
3. मर्द से कभी ना खत्म होने वाली अपेक्षाएँ
मर्दों को हमेशा Provide करना, protect करना, हमेशा कंट्रोल में रहना जैसी बातें कही जाती है। पुरुषों से हर समय “परफेक्ट” होने की उम्मीद करना कहाँ तक जायज़ है? इसी वजह से उन्हें help माँगना भी कमजोरी लगता है। Counseling या इमोशनल सपोर्ट लेने में हिचक महसूस करना भी इसी कंडीशनिंग का हिस्सा है।
4. रिश्तों पर असर
जब कोई अपनी भावनाएँ खुलकर व्यक्त ही नहीं कर पाता, तो रिश्ते सतही हो जाते हैं। पार्टनर समझ नहीं पाता कि सामने वाला किस दौर से गुजर रहा है, और पुरुष खुद भी अपनी vulnerability साझा नहीं कर पाते। इस तरह Patriarchy रिश्तों को दोनों के लिए मुश्किल बना देती है, सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं।
5. वास्तविक ताकत vulnerability में
सच्ची ताकत उस चुप्पी में नहीं है जिसमें इंसान अपने दुख को दबाकर मुस्कुराता रहे। बल्कि अपने अंदर झाँकने सुनने, बोलने और हेल्प माँगने की क्षमता में है। Vulnerability इंसान को कमजोर नहीं, बल्कि इमोशनली मेच्योर बनाती है। जब मर्द खुद को एक्सप्रेस करना सीखते हैं, तब वे सिर्फ बेहतर पार्टनर्स और फ्रेंड्स नहीं बनते, बल्कि खुद भी emotionally healthier इंसान बनते हैं।
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