Prioritize Your Skin, Regardless of Color: भारतीय समाज में स्वस्थ त्वचा से ज्यादा त्वचा के रंग को लेकर ऑब्सेशन है। महिलाओं को उनके त्वचा के रंग को लेकर बहुत बुरा महसूस करवाया जाता है। अगर किसी महिला का रंग गोरा है तो उनकी हमेशा तारीफ की जाती है। उन्हें अच्छा महसूस करवाया जाता है लेकिन वहीं पर किसी महिला का रंग काला या फिर सांवला है तो उन्हें बुरा महसूस करवाया जाता है। उन्हें कई प्रोडक्ट इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है ताकि त्वचा का रंग साफ हो जाए। ऐसा बोला जाता है कि सांवले रंग की लड़कियों के साथ कोई भी शादी नहीं करना चाहता है। ऐसी बहुत सारी बातों का महिलाओं को सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या महिलाओं की त्वचा का रंग उनकी त्वचा की सेहत से ज्यादा मायने रखता है।
त्वचा के रंग कि बजाय उसकी सेहत का रखें ध्यान
जब बात रंग की आती है तो वह मायने नहीं रखता, इस पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं है। हम इसे बदल नहीं सकते हैं। यह एक अनरियलिस्टिक ब्यूटी स्टैंडर्ड है लेकिन महिलाओं के ऊपर एक प्रेशर बनाया जाता है कि आपको अपना रंग साफ करना चाहिए। इसके लिए उन्हें तरह-तरह के प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है। उन्हें ऐसे सॉल्यूशंस बताए जाते हैं जिनसे उनका रंग गोरा हो जाता है। ऐसी बहुत सारे मार्केटिंग स्ट्रैजी भी बनाई जाती है जिसमें महिलाओं को यह कहकर प्रोडक्ट्स बेचे जाते हैं कि उनका रंग साफ हो जाएगा।
यहां पर हमें एक बात समझने की जरूरत है कि अब हमें रंग की छोड़कर त्वचा के स्वास्थ्य के ऊपर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा बहुत बार होता है कि महिलाओं पर रंग गोरा करने वाले प्रॉडक्ट्स के इस्तेमाल दबाव बनाया जाता है जिनके साइड इफेक्ट्स होने से त्वचा बिल्कुल खराब हो जाती है। इसलिए हमें त्वचा के रंग के उपर फोकस करने कि बजाय स्किन केयर रूटीन फॉलो करना चाहिए। अपनी स्किन को हाइड्रेट रखना चाहिए, अच्छा खाना खाना चाहिए और आंखों की देखभाल करनी चाहिए। अगर आपकी त्वचा स्वस्थ होगी तो आपका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। आपकी पर्सनालिटी में बढ़ोतरी होगी और बॉडी पॉस्टिविटी को भी बढ़ावा मिलता है। त्वचा के स्वास्थ्य से आपकी अंदरूनी सेहत के बारे में पता चलता है। यह आपके हाथ में है कि आपको क्या चुनना है-अनरियलिस्टिक ब्यूटी स्टैंडर्ड या बॉडी पॉस्टिविटी।