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क्या सजने-संवरने वाली महिलाओं का कोई उद्देश्य नहीं होता?

हमारी महारानियों से लेकर आज की महिलाओं तक सभी श्रृंगार करती आ रही हैं। ऐसी स्त्रियों के लिए एक धारणा यह भी है कि इनका अपनी जिंदगी में कोई उद्देश्य नहीं होता है। चलिए आज हम इस विषय पर बात करते हैं?

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Rajveer Kaur
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Women's Purpose Beyond Appearance

Image Credit: Pinterest

Purpose Of Women Beyond Appearance: श्रृंगार भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। शुरुआत से ही हमारी महिलाएं श्रृंगार करती आ रही हैं। हर महिला के लिए श्रृंगार की परिभाषा अलग है। इसके साथ ही हर धर्म में भी श्रृंगार का अलग महत्व है और भारत की हर एक संस्कृति में श्रृंगार शामिल ही होता है। हमारी महारानियों से लेकर आज की महिलाओं तक सभी श्रृंगार करती आ रही हैं। वेस्टर्न प्रभाव के कारण महिलाओं ने श्रृंगार सिर्फ खास मौकों पर करना शुरू कर दिया है। ऐसी स्त्रियों के लिए एक धारणा यह भी है कि इनका अपनी जिंदगी में कोई उद्देश्य नहीं होता है। यह सारा समय अपना श्रृंगार में ही निकाल देती हैं और पुरुषों के ऊपर निर्भर होती है। चलिए आज हम इस विषय पर बात करते हैं?

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क्या सजने-संवरने वाली महिलाओं का कोई उद्देश्य नहीं होता?

सबसे पहले श्रृंगार करना या फिर सजना-संवरना सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है। बहुत सारे लोग ऐसा सोचते हैं कि मेकअप या फिर श्रृंगार करना सिर्फ महिलाओं का काम है लेकिन सदियों से पुरुष भी श्रृंगार करते आ रहे हैं। इसका कोई भी जेंडर नहीं होता है। हर सेक्सुअलिटी के लोग अपने अपने तरीके से सजना-संवरना पसंद करते हैं। ऐसे में अगर आप इस बात को लेकर किसी व्यक्ति को जज कर रहे हैं कि वे श्रृंगार कर रहा है तो इसलिए उसका जिंदगी में उद्देश्य नहीं है तो आप बहुत गलत है। अक्सर महिलाओं को यह बात सुनने को मिल जाती है कि इसे तो बस सजना-संवरना ही आता है। यह अपनी जिंदगी में कुछ खास नहीं कर सकती। अगर बचपन से किसी लड़की का इन चीजों के ऊपर ध्यान होता है तब भी ऐसा समझा जाता है कि इस लड़की का पढ़ाई में ध्यान नहीं है। इसलिए इसकी शादी कर देनी चाहिए। 

समाज में ऐसी महिलाओं को बहुत ही कमजोर समझ जाता है। उन्हें लगता है कि यह महिलाएं बहुत ज्यादा पुरुषों के ऊपर निर्भर होती हैं और अपने फैसले खुद नहीं ले सकती। यह बोल्ड नहीं होती है। हमें यह बात सोचने की जरूरत है कि श्रृंगार करना एक स्त्री को सुख दे सकता करता है। उसे ऐसे ही खुशी मिलती है। इसके साथ ही उद्देश्य इस बात से तय नहीं होते हैं कि आप क्या पहनते हैं। अगर हमारी महारानियां श्रृंगार करती थी तो उनका अपनी सल्तनत में भी एक अहम रोल होता था। कई बार महाराज अपनी पत्नी से सलाह लेते थे कि उन्हें अब इस मोड़ पर क्या करना चाहिए। इसलिए हमें महिलाओं को श्रृंगार के लिए जज करना बंद कर देना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं है कि जो महिलाएं श्रृंगार करती है वो जिंदगी में कुछ नहीं कर सकती।

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