आज के समय में भी औरतें अपने हकों के लिए लड़ रही है चाहे वे कोई भी देश हो। हर जगह आज औरतें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। एक तरह से यह बात सकारात्मक भी है कि औरतें अपने हकों के लिए जागरूक हो रही है, उसके लिए आवाज उठा रही है। अपने घरों से निकलकर कट्टरपंथियों, सरकारों के विरोध में अपने हकों के लिए डटकर खड़ी हैं लेकिन दूसरी तरफ यह नकारात्मक भी है कि क्योंकि आज भी औरतों को उनके अधिकार नहीं मिल रहे हैं।
क्या औरतों को उनके अधिकार मिल रहे है?
हाल ही में हम सभी ने देखा कि ईरान में कैसे औरतों ने सरकार और हकूमत के खिलाफ बगावत खड़ी कर दी। जब वहां पर सिर्फ हिजाब ना पहनने पर एक लड़की जिसका नाम महासा अमीनी था उसकी पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। यह पूरे विश्व की औरतों के लिए एक बड़े उदाहरण है क्यों औरतें कमजोर नहीं होती जब उनकी सुरक्षा और उनके हकों की बात आती है जो अपने लिए लड़ सकती है चाहे उन्हें किसी भी परिस्थिति से गुजर ना पड़े।सरकार की तरफ से उनका लगातार विरोध हो रहा है उनके ऊपर जुर्म भी यह जा रहे हैं लेकिन फिर भी वह औरतें खड़ी है।
औरतों को हमेशा से ही किसी ना किसी तरह से दबाने की कोशिश की गई है। हर कोई उनको अपने हिसाब से चलाना चाहता है। जब कोई औरत समाज के बनाए हुए नियमों को उल्लंघन कर कुछ अलग करती है तब समाज को बिल्कुल भी हजम नहीं होता है। समाज उस चीज को सहन नहीं कर पाता है फिर वे उस लड़की को अच्छा नहीं समझता। उस लड़की की तरह-तरह की बातें बनाना शुरू कर देता है कि उस लड़की का तो चरित्र ही अच्छा नहीं है। यह लड़की हाथ से निकल गई है अब इसको इस पर पर लगाम लगाने की जरूरत है।
समाज को यह चीज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती कि औरत अपनी मर्जी से, अपनी शर्तों पर अपने बनाए हुए नियमों के अनुसार जिंदगी को व्यतीत करें समाज हमेशा ही जाता है कि औरत हमेशा उनके हिसाब से ही चले जैसा समाज ने उनके लिए एक माहौल तैयार किया है उसमें ही रहे।
समय बदल रहा है
अभी समय बदल रहा है औरतें अपने अधिकारों के लिए और भी ज्यादा जागरूक हो रही हैं। अपने हकों के लिए लड़ रही है। अब घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर हकूमत के खिलाफ अपने अधिकारों के लिए बड़ी-बड़ी बगावत कर रही हैं। आज की नारी है वह नारी नहीं जो सिर्फ एक डांट लगाने से या आंख के देखने से ही चुप कर जाएगी। आज की नारी भी कठिन स्थिति हो वह अपने अधिकारों को प्राप्त करके ही रहेगी।