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सुरक्षा के नाम पर महिलाओं को रात को ट्रेवल क्यों नहीं करने दिया जाता?

हमारे समाज में होना यह चाहिए कि हमें लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल पैदा करना चाहिए न कि उन्हें घर से बाहर जाने से रोकना चाहिए लेकिन चीजें उलट हो रही है। लड़कियों को बाहर माहौल खराब है, यह कहकर रोका जा रहा है।

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Rajveer Kaur
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(Image Credit: Pinterest)

Why Are Women Not Allowed To Train At Night In The Name Of Safety? अक्सर जब लड़की बाहर जाती है उसे एक डेडलाइन दी जाती है कि बेटा रात होने से पहले घर वापस आ जाना। अब यहां पर आप लोग कहेंगे की बेटी की सेफ्टी की बात है इसलिए मां-बाप ऐसा कहते हैं, वैसे तो उन्हें लड़कियों के रात से घूमने की कोई परेशानी नहीं है। अभी कुछ दिन पहले यूपी सरकार का एक आदेश आया था जिसमें कहा गया कोचिंग से लड़कियों को 8 बजे से पहले आ जाना चाहिए क्योंकि रात को उनके लिए जाना सुरक्षित नहीं है। यह सब लड़कियों के लिए मां-बाप भी कहते हैं। लड़कियों के लिए टाइट डेडलाइन लगा दी जाती है। माँ-बाप का कहना होता है हमें तुम्हारी चिंता होने लगती है क्योंकि आजकल माहौल बड़ा खराब है। सवाल यह है कब तक सेफ्टी के नाम पर लड़कियों को रात में बाहर घूमने रोका जाएगा?

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सुरक्षा के नाम पर महिलाओं को रात को ट्रेवल क्यों नहीं करने दिया जाता?

सुरक्षित महल पैदा करने की जरूरत 

हमारे समाज में होना यह चाहिए कि हमें लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल पैदा करना चाहिए न कि उन्हें घर से बाहर जाने से रोकना चाहिए लेकिन चीजें उलट हो रही है।  लड़कियों को बाहर माहौल खराब है, यह कहकर रोका जा रहा है। ऐसे अगर डर कर घर पर लड़कियों को बिठा लिया जाएगा तो उनकी पर्सनल ग्रोथ कैसे होगी। 

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यह कोई नई बात नहीं है ऐसा लड़कियों के साथ हमेशा से ही होताआ रहा है। उन्हें रात के कारण बाहर नहीं जाने दिया जाता। कब तक हम लड़कियों को घर में रोक कर रखेंगे। मान लीजिए कुछ लड़कियां जॉब करती है और रात में उन्हें पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़े ऐसे तो रात को वो कही जा ही नहीं सकती। यह चीज़ करियर और पर्सनल लाइफ पर बहुत बड़ा प्रभाव डालेगी। ऐसी बहुत सी लड़कियां हमारे आस-पास मजूद है जो रात के कारण कुछ नहीं कर पाती।

दोगला समाज 

मान लीजिए लड़की के साथ रात के समय कुछ बुरा या अनचाही दुर्घटना हो गई लेकिन समाज में दोषी उस महिला पर लगाया जाएगा जिसके साथ यह बुरी घटना हुई होगी। समाज के द्वारा कहा जाएगा छोटे कपड़े पहने थे इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ, अगर रात को बाहर नहीं जाती तो उसके साथ ऐसा नहीं होता। समाज में अभी भी दोगलापन है, मर्दो के लिए सोच अलग और महिलाओं के लिए अलग है। ऐसी  सोच के साथ लड़कियां इस समाज में होना जीवन काट रही है जहाँ गलती न होने पर भी महिला को ही दोषी ठहराया जाता है। हम सब अगर चाहते हैं कोई बदलाव हो तो सबसे पहले हमें खुद की सोच बदलनी होगी फिर अपना आसपास बदलना होगा। आसपास में ऐसा माहौल बनाना होगा कि लड़कियां घर से निकलने से पहले एक बार भी सोचे मत।  

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