क्यों शादी के बाद महिलाओं को In-Laws की परमिशन लेनी पड़ती है?

शादी के बाद हो या पहले महिलाओं को हर चीज के लिए घर के बड़ों से पूछना ही पड़ता है। ऐसी सोच सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों है? क्या महिलाएं अपनी जिंदगी खुद की मर्जी से नहीं जी सकती?

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Rajveer Kaur
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Why Do Women Have To Take In Laws Permission After Marriage (Image Credit: Pinterest)

Why Do Women Have To Take In Laws Permission After Marriage: शादी के बाद हो या पहले महिलाओं को हर चीज के लिए घर के बड़ों से पूछना ही पड़ता है। ऐसी सोच सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों है? क्या महिलाएं अपनी जिंदगी खुद की मर्जी से नहीं जी सकती? ऐसा ट्रीटमेंट पुरुषों के साथ क्यों नहीं होता? आईए आज इस विषय पर बात करते हैं-

क्यों शादी के बाद महिलाओं को In-Laws की परमिशन लेनी पड़ती है?

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बहुत सारी महिलाओं को आज भी परमिशन लेनी पड़ती है। पहले हमें यह  समझने की जरूरत है कि परमिशन कब लेते हैं, परमिशन तब लेते हैं, जब हम किसी के अंडर होते हैं। हमें किसी से पूछना पड़ता है कि हम यह कर सकते हैं या नहीं। अगर वह आज्ञा देगा, हम तब ही वो काम कर सकते हैं। यह दिखाता है कि हम किसी अथॉरिटी के नीचे है। इसमें एक व्यक्ति उपर है और दूसरा सिर्फ उसकी आज्ञा मान रहा है। इस स्थिति में दूसरे व्यक्ति का अस्तित्व खत्म होता जाता है। यहां पर रिस्पेक्ट कहीं दिखाई नहीं देती। इसमें सिर्फ और सिर्फ एक तानाशाह दिखाई देता है।

परमिशन से ज्यादा बताना जरूरी

अगर हम परमिशन से ज्यादा एक दूसरे को चीज बताने में ज्यादा जोर दें तो हमारे रिश्ते मजबूत और खूबसूरत हो जाएंगे। ऐसा लगने लगेगा कि हम दूसरों की च्वाइस और डिसीजंस की रिस्पेक्ट करते हैं। हम दूसरों को उनकी जिंदगी जीने का अधिकार देते हैं। उस पर अपना अधिकार नहीं जमाते। आप अपने सास ससुर को बताइए कि मैं यह करने वाली हूं या जहां पर जा रही हूं। अगर उन्हें कोई प्रॉब्लम है, उन्हें समझाना चाहिए और एक म्युचुअल डिसीजन होना चाहिए। परमिशन लेने से आप दूसरे की सिचुएशन को जानने की कोशिश नहीं करते। आपको वह चीज नहीं सही लग रही, आप सीधा मना कर रहे हैं। यह बात गलत है।

मिलकर फैसला लेना चाहिए

परिवारों में यह चीज होनी बहुत ज्यादा जरूरी है। छोटी उम्र से ही बच्चों को मिलजुल कर रहना और फैसला लेना सिखाया जाना चाहिए। भारतीय परिवारों में यह  उल्टा है। हमारे यहां बड़े फैसले लेते हैं। अगर बच्चे नहीं मानते,  विरोध करते हैं तो बच्चे गलत है। हमें एक दूसरे का दृष्टिकोण समझना चाहिए। चाहे बड़े हो या छोटे, म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग से हम एक दूसरे को यह आजादी देते हैं कि वह अपनी जिंदगी खुद के हिसाब से जी सकता है। हमें बच्चों को गाइड करना चाहिए लेकिन हमारे यहां सास-ससुर बहू को दबाकर रखना चाहते हैं। उसे अपने नीचे रखना चाहते हैं।  कई बार सास-ससुर को डर रहता है कि बहु हमारे हाथ से निकल जाएगी।