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Patriarchy: क्यों समाज में पिता और बेटी के बीच में अभी भी पर्दा है?

बेटियां कभी भी अपने मन की या दुख की बात अपने पिता से कम ही करती है। भारतीय समाज में ऐसा पितृसत्तात्मक सोच के कारण है जिसमें उन्हें बताया जाता है कि पिता के साथ इतना खुला व्यवहार नहीं करना चाहिए और उनके बीच एक पर्दा होना चाहिए।

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Rajveer Kaur
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father and daughter

(Image Credit: Shutterstock)

Father And Daughter Relation In Indian Society: भारतीय समाज में पिता और बेटी का रिश्ता बहुत ही सीमित होता है। बेटी के मन में पिता के लिए एक डर होता है। बचपन से ही उन्हें सिखाया जाता है कि पिता के साथ ज्यादा बात नहीं करनी है और हमेशा डर कर रहना है,. जब भी पिता काम से घर वापस आते हैं तब उन्होंने सिर्फ बच्चों से थोड़ी बात करनी होती है जैसे पढ़ाई की, खाना खा लिया या फिर स्कूल का काम हो गया और उसके बाद वह आराम करने लग जाते हैं। जब बात बेटियों की आती है तो यह फ़ासला और भी बढ़ जाता है। बेटियां कभी भी अपने मन की या दुख की बात अपने पिता से कम ही करती है। भारतीय समाज में ऐसा पितृसत्तात्मक सोच के कारण है जिसमें उन्हें बताया जाता है कि पिता के साथ इतना खुला व्यवहार नहीं करना चाहिए और उनके बीच एक पर्दा होना चाहिए।

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क्यों समाज में पिता और बेटी के बीच में अभी भी पर्दा है?

आपको भी लगता है कि क्या सच में पिता और बेटी के बीच में पर्दा होना चाहिए? यह एक ऐसा रिश्ता है जहां पिता ने बेटी को जन्म दिया तो उनके बीच में क्यों एक लाइन खींच दी जाती है जिसके कारण वह कभी उतना घुल-मिल ही नहीं पाते हैं जितना उन्हें होना चाहिए। आप देख लीजिए कि जब बच्ची को पीरियड्स आते हैं तब भी उसका कनेक्शन मां के साथ ही ज्यादा बनाता है। पिता की तरफ से कभी उससे वह सपोर्ट दिया ही नहीं जाता है जिसकी एक बेटी हकदार है। वह इतने दर्द से गुजरती हैं लेकिन कई बार उसे कुछ सपोर्ट की जरूरत होती है तब भी सिर्फ झिझक के कारण वो अपनी पिता से इस बारे में बात ही नहीं कर पाती है।

बेटियों के उपर पाबंदियां भी ज्यादा लगाई जाती हैं जैसे किससे बात कर रही हो, उन्हें प्राइवेसी नहीं दी जाती है, कुछ पिता तो बेटी को घर से बाहर किसी काम के लिए अकेले नहीं जाने देते या फिर उन्हें खुद ही अपने साथ  बाहर लेकर जाते हैं। उन्हें ज्यादा बाहर घूमने के लिए टोकते रहते हैं और बेटी की लाइफ पर अपना कंट्रोल समझते हैं। अभी यह इतना ज्यादा नहीं है। आजकल के पिता अपनी बेटियों के साथ वह गैप को कम कर रहे हैं लेकिन अभी भी बहुत सारे लोग ऐसे ही है। 

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हम लोगों को इस माहौल को बदलने की जरूरत है और बेटियां अपने पिता के साथ खुलकर बात कर सके। उन्हें अपने पिता के साथ किसे भी तरह का डर नहीं होना चाहिए। वे उनके साथ किसी भी टॉपिक पर बात कर सकती हैं और किसी भी तरह के कपड़े पहन सकती हैं। इसके साथ ही कभी भी घर से बाहर जा सकती हैं।  हर वक्त उनकी Policing करते रहना भी सही नहीं है। आप उनकी प्राइवेसी या बाउंड्री को क्रॉस मत करें और lपिता कोई शैतान नहीं है। वो भी एक ह्यूमन बीइंग है। उन्हें भी इमोशंस को दबाकर रखना सिखाया जाता है और उन्हें हार्ड बनने के लिए कहा जाता जिसे हमें धीरे-धीरे काम करना है।

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