महिलाएं क्यों अभी भी Slut Shaming का हिस्सा बनती हैं?

आज 21वीं सदी में पहुंचने के बाद भी महिलाएं स्लट शेमिंग का शिकार होती हैं। मर्द चाहे हजार लोगों के सामने चड्डी पहन कर भी घूम ले लेकिन औरत के कपड़े थोड़े से छोटे हो जाएं तो लोग उसका कैरेक्टर जज करने पर उतर आते हैं। 

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Rajveer Kaur
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Slut Shaming (Pinterest)

Why Women Are Still Part of Slut Shaming (Image Credit: Pinterest)

Why Women Are Still Part of Slut Shaming: आज 21वीं सदी में पहुंचने के बाद भी महिलाएं स्लट शेमिंग का शिकार होती हैं। पूरी दुनिया में जहां महिलाओं के निपल्स के फ्री होने की बात हो रही है वहीं आज भी स्लट शेमिंग रुकने का नाम नहीं ले रही। मर्द चाहे हजार लोगों के सामने चड्डी पहन कर भी घूम ले लेकिन औरत के कपड़े थोड़े से छोटे हो जाएं तो लोग उसका कैरेक्टर जज करने पर उतर आते हैं। 

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महिलाएं क्यों अभी भी Slut Shaming का हिस्सा बनती हैं?

यह सोच हमारे समाज में अभी भी मौजूद डबल स्टैंडर्डस को शो करती है। ऐसी मिसालें भरी पड़ी हुई हैं जैसे पुरुष टॉपलेस भी घूम सकते हैं लेकिन महिला का क्लीवेज भी दिख जाए तो समाज को प्रॉब्लम होने लगती है। साड़ी में कमर दिखना जायज है लेकिन वही अगर क्रॉप टॉप में आपकी नेवल दिख गई तो लड़की की स्लट शेमिंग शुरू हो जाती है। आइये आज इस विषय पर चर्चा करते हैं-

औरतें मर्दों के ओपिनियन को ज्यादा अहमियत देती हैं 

हमारे समाज में मर्द के ओपिनियन को काफी वैल्यू दी जाती है चाहे वह सही हो या फिर गलत, क्योंकि हमारा समाज अभी भी मर्द प्रधान है। अगर औरतों मर्दों के ओपिनियन को वैल्यू करना छोड़ दें तब समाज में काफी बदलाव देखने को मिल सकता है। अभी कुछ लोग यह भी समझने लगेंगे कि महिलाएं मर्दों को सिर्फ नीचा ही दिखाना चाहती हैं लेकिन समझने वाली बात यह है कि महिलाएं किसी के ओपिनियन का बोझ क्यों उठाएं। 

बार-बार हमारे  समाज में औरतों को उनकी चॉइस और ओपिनियन के लिए गिल्ट फील कराया जाता है। उन्हें यह महसूस करवाया जाता है कि आप गलत हैं। सोशल मीडिया पर अगर महिला एक पोस्ट बिकनी में डाल दे तो लोग कमेंट बॉक्स में भद्दे कमेंट्स की झड़ी लगा देते हैं। महिलाओं को किसी के भी ओपिनियन का बोझ उठाने की जरूरत नहीं है। यह आपकी लाइफ है और डिसीजंस और चॉइस भी आपकी ही होनी चाहिए।

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महिलाओं को अवेयर होने की जरूरत

स्लट शेमिंग को रोकने के लिए सबसे जरूरी है महिलाएं अवेयर हो। उन्हें अपने अधिकारों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। महिलाओं को यह बात भी मालूम होनी चाहिए अगर वे अपने  हक की बात करती है इसमें कुछ भी गलत नहीं है। समाज उन्हें बहुत सारी बातें बोलेगा लेकिन उन्हें इग्नोर करके उन्हें सिर्फ सच का साथ देने की जरूरत है।

मान लीजिए अगर आपके पति ने आपको थप्पड़ मारा तो आप उसके खिलाफ आवाज उठाएं। लोग कहेंगे कि एक थप्पड़ ही तो मारा है, ऐसा क्या तमाशा कर रही हो। आपको उस चीज को सुनने की जरूरत नहीं है। सबसे जरूरी आपके लिए सेल्फ रिस्पेक्ट होनी चाहिए।

किसी के वैलिडेशन की जरूरत नहीं

समाज में हर किसी की सोच को बदला नहीं जा सकता लेकिन हम चीजों के प्रति अपनी सोच और अप्रोच को बदल सकते हैं। कोई आपके बारे में क्या सोचता है,इसका स्ट्रेस लेने की जरूरत नहीं है। जितना आप दूसरों से वैलिडेशन मांगेंगे उतना ही आप लाइफ को खुलकर नहीं जी पाएंगे। इसलिए अपनी लाइफ को अपने तरीके से जीना शुरू करें।

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