Why Birth Of Girl Child Still Saddens Society : समय बदल रहा है। आज के समय लड़कियाँ हर क्षेत्र में मर्दों के साथ कंधा मिलाकर चल रही है।
क्यों लड़की पैदा होने पर आज भी शोक मनाया जाता है?
आज की महिला सशक्त है दूसरी महिलाओं को साथ लेकर चल रही है। सवाल यह खड़ा होता है क्या अब लड़कियों के पैदा होने पर ख़ुशी मनाई जाने लगी है और समाज का उनके प्रति नजरिए में बदलाव आया है? इस बात में कुछ सच्चाई है लेकिन ज्यादातर लोग आज भी लड़की पैदा होने पर मायूस हो जाते हैं। ऐसा क्यों है आज इस पर चर्चा करेंगे।
सबसे बड़ा पहलू समाज का डर
समाज के डर की वजह से आज भी लोग बेटे की चाहत रखते हैं। यह डर असल में बहुत ज्यादा है। जब किसी के घर में पहला बच्चा लड़की हो तब यह सोच कर चुपी साध ली जाती है कि अगली बार बेटी ही होगा। अगली बार कपल पर इस बात का प्रेशर बनाया जाता है कि इस बार लड़का पैदा हो जाए क्योंकि आसपास के लोग, रिश्तेदार और समाज पहले से ही लड़के की अपेक्षा में होते हैं। अगर लड़का नहीं होता फिर सभी लोग आकर बिना पूछे अपने विचार प्रस्तुत करने में लग जाते हैं जैसे हमारा तो मन खराब हो गया, लगता था इस बार लड़का ही पैदा होगा लेकिन पता नहीं किस की नजर लग गई।
लड़कियाँ पैदा होने पर महिला पर लगाया जाता दोष
जब किसी महिला के एक से ज्यादा लड़कियां पैदा हो जाएँ तब उस महिला को समाज अच्छी नजर से नहीं देखता। उस महिला के साथ बुरा व्यवहार, यहाँ तक मारपीट भी की जाती है। उसकी कोख पर भी सवाल उठाए जाते हैं। कई महिलाएं इस स्थिति से तंग आकर अपनी जान भी दे देती हैं। यह मुद्दा जितना सीधा और सरल दिखाई देता है उतना नहीं है। आज भी भारत के बहुत हिस्सों में लड़कियों को पैदा होने से पहले मार दिया जाता है या फिर पैदा होते ही। 2021 में सबसे अधिक गर्भपात के मामले मध्य प्रदेश और गुजरात में थे। हर साल भारत में 2013 और 2017 के बीच, लगभग 4,60,000 लड़कियाँ जन्म के समय "लापता" थीं।
इस सोच को अब बदलने की जरुरत है। इसका बड़ा कारण यही है कि आज भी लड़कों को पहल दी जाती है। इसके लिए महिलाओं को सख्त कदम उठाने की जरुरत है। सबसे ज्यादा दुःख तब होता है जब एक महिला की तरफ से लड़की पैदा होने पर बुरा मनाया जाता है। अब महिलाओं को एक दूसरे का साथ देने की जरुरत है और गर्भपात या पैदा होते कन्या को मारने पर माँ को सख्त होना चाहिए । इसके लिए कानून का सहारा लें।