Toxic Relationship: गुमराह फिल्म का गाना जिसमें एक लाइन है कि “वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा” टॉक्सिक रिलेशन पर एकदम फिट बैठता है लेकिन बहुत कम लोग ऐसा कर पाते हैं। दुनिया भर से रिलेशनशिप्स को लेकर तमाम तरह की खबरें आती रहती हैं। जिसमे से टॉक्सिक रिलेशनशिप से जुड़े मामले सबसे ज्यादा हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 20 लाख से अधिक लोग ऐसे रिलेशन में बंधे हुए हैं जिसमे वे रहना ही नहीं चाहते हैं और यह आंकड़ा सिर्फ अनमैरेड लोगों का नहीं है इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो शादी के बंधन में बंधे हुए हैं।आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में तमाम ऐसे लोग हैं जो टॉक्सिक रिलेशन होने के बावजूद भी अपने रिश्ते में जी रहे हैं और मानना यह है कि 4 टॉक्सिक रिश्तों में से सिर्फ एक व्यक्ति ऐसा होता है जो इस रिश्ते से निकलना चाहता है और पहल करता है। बाकी के लोग उसी रिश्ते में बंधे रहते हैं।
जानिए आखिर क्या कारण है कि लोग टॉक्सिक रिलेशन से बाहर नहीं निकल पाते हैं
1. इमोशनली मैनुपुलेट करना
टॉक्सिक पार्टनर अक्सर अपने पार्टनर की सेल्फ रिस्पेक्ट और निर्णय लेने की क्षमताओं को कंट्रोल करने और कमजोर करने के लिए उन्हें इमोशनली मैनुपुलेट करते हैं। वे अपराध-बोध, गैसलाइटिंग, या दूसरे मैनुपुलेटिंग बिहेवियर को यूज़ कर सकते हैं, जिससे पीड़ित के लिए रिश्ते की टॉक्सिसिटी को पहचानना और रिलेशन से बाहर निकलने की ताकत जुटाना मुश्किल हो जाता है।
2. फाइनेंशियली डिपेंड होना
कुछ मामलों में, विक्टिम टॉक्सिक पार्टनर पर फाइनेंशियली डिपेंड होती हैं, जिससे उसे छोड़ना कठिन हो सकता है। फाइनेंशियल रिसोर्सेज की कमी या स्वयं या आश्रितों का भरण-पोषण न कर पाने का डर टॉक्सिक रिलेशन को ख़त्म करने में एक बहुत बड़ी बाधा हो सकती है।
3. बदलाव की उम्मीद
टॉक्सिक रिलेशनशिप में कई व्यक्ति इस होप के साथ रहते हैं कि उनका पार्टनर चेंज जाएगा और चीजों में इंप्रूवमेंट हो जाएंगा। वे रिलेशन के शुरुआती स्टेजेस को याद करते हैं जब उनका रिलेशन पॉजिटिव और लविंग था, जिससे उन्हें यह लगता है कि टॉक्सिसिटी एक टेंपरेरी सिचुएशन है जो कुछ टाइम के बाद सही हो जाएगी।
4. ट्रॉमा बॉन्डिंग
टॉक्सिक रिलेशनशिप के विक्टिम्स खुद के साथ गलत करने वाले के साथ एक टफ साइकोलॉजिकल बॉन्ड डेवलप कर सकते हैं जिसे ट्रॉमा बॉन्डिंग या स्टॉकहोम सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। यह बॉन्ड प्यार, डर और डिपेंडेंसी जैसी कॉम्प्लिकेटिंग फीलिंग्स पैदा कर सकता है, जिससे टॉक्सिक पार्टनर को छोड़ने का डिसीजन और टफ हो जाता है।
5. नतीजों का डर
पीड़ित को टॉक्सिक रिलेशनशिप को छोड़ने के परिणामों का डर हो सकता है, जैसे कि प्रतिशोध, धमकी, या यहां तक कि एब्यूज़िव पार्टनर से शारीरिक नुकसान। यह डर धीरे धीरे आपमें हेल्पलेस्नेस और डिपेंडेंसी की भावना को बढ़ावा दे सकता है।
6. अलगाव
टॉक्सिक पार्टनर अक्सर अपने विक्टिम्स को दोस्तों, परिवार और उनके सपोर्ट नेटवर्क से अलग कर देते हैं। डिपेंडेंसी की भावना पैदा करके और बाहरी सपोर्ट सोर्सेज को बंद करके, वे पीड़ित के लिए हेल्प मांगना या छोड़ने का साहस जुटाना मुश्किल बना देते हैं।
7. कम आत्म-सम्मान
टॉक्सिक रिलेशनशिप अक्सर टाइम के साथ व्यक्ति की सेल्फ रिस्पेक्ट और सेल्फ वर्थ को ख़त्म कर देते हैं। विक्टिम को यह लगने लगता है कि वे ऐसे बिहेवियर डिजर्व करते हैं या उन्हें इससे बेहतर कोई नहीं मिलेगा, जिससे वे एक अनहेल्दी रिश्ते में रहने का प्रयास करने लगते हैं।