Mindful Communication: रिश्तों में बेहतर बातचीत का आसान तरीका

क्या आपकी बातचीत रिश्तों को मजबूत कर रही है या चुपचाप दूरी बढ़ा रही है? जानिए वो छोटे-छोटे mindful habits जो हर बातचीत को गहरा, साफ़ और ज़्यादा connected बना देती हैं।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Pinterest via Smart Relationship Tips)

अक्सर हमें लगता है कि रिश्तों में ज़्यादातर गलतफ़हमियाँ बातों या शब्दों से ही पैदा होती हैं। लेकिन पूरी तरह से सच नहीं है। गलतफहमियाँ, बात को किस तरह से कहा गया है से पैदा होती हैं। इसका कारण है कि कई बार हम एक-दूसरे को सुनते कम हैं और हमें जवाब देने की ज़्यादा जल्दी होती है। यहीं पर mindful communication मदद करती है। ये एक ऐसा तरीका है जिसमें हम वास्तव में हर शब्द, हर एहसास और हर पल को समझते हैं।

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Mindful Communication: रिश्तों में बेहतर बातचीत का आसान तरीका

क्या है माइंडफुल कम्युनिकेशन?

माइंडफुल कम्युनिकेशन यानी अवेयर, शांत और प्रेज़ेंट मोमेंट में रहकर की गई बातचीत। ये एक ऐसा तरीका है जो रिश्तों में समझ, भरोसा और इमोशनल सेफ़्टी बढ़ाता है। ये न सिर्फ़ हमारी बात को प्रभावी बनाता है, बल्कि सामने वाले को भी महसूस कराता है हम उसे सुन और समझ रहे है।

बातचीत के आसान तरीके

  1. Mindful listening है ज़रूरी

Mindful listening का मतलब है कि

  • सामने वाले की बात को बीच में न काटना

  • उसके feelings को समझना

  • “मैं तुम्हारी बात समझ रहा/रही हूँ” जैसा validation देना

यह छोटी सी आदत बातचीत को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाती है। ज़्यादातर लोग सुनते कम हैं और बस अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं। माइंडफुल कम्युनिकेशन की सबसे पहली स्टेप है, active listening यानि पूरी मौजूदगी के साथ सुनना। इसमें आप सामने वाले के केवल शब्द ही नहीं सुनते, बल्कि उसका टोन, इमोशन और नज़रिये को भी समझने की कोशिश करते हैं। जब लोग महसूस करते हैं कि उन्हें सच में सुना गया है, तो रिश्ते में नाराज़गी, शिकायतें और तनाव अपने आप कम होने लगते हैं।

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  1. बातचीत का उद्देश्य समझना

हर बातचीत बहस जीतने के लिए नहीं होती। माइंडफुल कम्युनिकेशन का main focus होता है  ख़ुद से पूछना कि “मैं क्या चाहता/चाहती हूँ? कनेक्ट करना, समझाना या सिर्फ अंदर की बातों को बाहर निकलना?” जब इरादे साफ होते हैं तो रिश्ता और बात दोनों सही महसूस होते हैं।

  1. बात करते समय धीमी गति और साफ़ नज़रिया

तेज़ या रिएक्टिव बातचीत अक्सर गलतफ़हमी को बढ़ा देती है। माइंडफुल बातचीत में हम अपनी बात धीरे, clear और बिना aggression के रखते हैं। यह तरीका सामने वाले को डिफेंसिव होने से रोकता है और बातचीत को टकराव की जगह समाधान की दिशा में ले जाता है।

  1. अपनी भावनाओं को पहचानकर बोलना 

कई बार हम गुस्से में वही बोल देते हैं जो हम सच में कहना नहीं चाहते। माइंडफुल कम्युनिकेशन आपको सिखाता है कि पहले अपनी फीलिंग्स को पहचानें, मैं दुखी हूँ, insecure हूँ, हर्ट हूँ या गलत समझा गया हूँ? जब हम फीलिंग्स को पहचानकर बात करते हैं, तो बातचीत अधिक सच्ची, साफ़ और कोमल बनती है।

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  1. रिएक्ट करने से पहले pause लेना 

अक्सर एक सेकंड का पॉज़ भी कई बड़े झगड़ों को रोक सकता है। जब हम गुस्से, तनाव या जल्दी में होते हैं, तो बातें उलझ जाती हैं। बातचीत शुरू करने से पहले दो सेकंड रुकना, साँस लेना और भावनाओं को स्थिर करना न सिर्फ तनाव कम करता है, बल्कि रिश्तों में टकराव भी घटाता है। रिएक्ट करने से पहले pause ले लेने से दिमाग को स्थिति समझने का समय मिलता है। इससे हम सामने वाले को बिना चोट पहुँचाए या बिना ओवररिएक्ट किए जवाब दे पाते हैं। ये छोटी सी practice रिश्तों में सम्मान, शांति और maturity लाते है।

  1. बिना blame किए बात रखना 

माइंडफुल कम्युनिकेशन का रूल है कि रिश्तों में “तुम हमेशा ऐसा करते हो” जैसी blaming lines नहीं होतीं। इसके बजाय हम “I statements” का यूज़ करते हैं। इनकी जगह “मुझे बुरा लगता है जब…” या “मुझे ऐसा महसूस होता है कि…” कहना ज्यादा ऑनेस्ट और हेल्दी होता है। इससे सामने वाला attacked फील नहीं करता और बातचीत open रहती है।

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