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किसी रिश्ते में dating and relationship में आने से लेकर अलग होने तक दिल पर असर सिर्फ कहा ही नहीं जाता लेकिन वास्तव में दिल पर गहरा असर होता हैं। जब कोई प्यार में पड़ता हैं तो वह oxytocin हार्मोन रिलीज करता हैं, जो उसके खुशी और नींद यंहा तक उसके दैनिक गतिविधियों पर असर डालता हैं। लेकिन वहीं जब अलग होना होता हैं, तब एक प्रस्ताव से लेकर एक ब्रेक-अप नोट तक दिल को महसूस होता हैं और यह कॉर्टिसॉल रिलीज करता हैं जो स्ट्रेस और डिप्रेशन भी ला सकता हैं।
Proposal to Break Up: रिलेशनशिप में जुड़ना और अलग होना दोनों ही डालते हैं असर
जुड़ाव: जब दिमाग और दिल प्यार में पड़ता हैं
रिलेशनशिप में आना और प्यार में पड़ना दोनों ही दिल को खुश करने वाले हार्मोन से भर देते हैं। रिलेशनशिप की शुरुआत में हमारा मस्तिष्क डोपमिन, ऑक्सीटोसिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन रिलीज करता हैं- जो खुशी, लगाव और सुरक्षा की भावना को बढ़ाते हैं। यह सब एक व्यक्ति को रिलेशनशिप में आना और बने रहना दोनों के लिए प्रेरित करता हैं।
डोपमिन : यह दिल को खुश कर देता हैं, जिससे बार-बार व्यक्ति वहीं करना और देखना चाहता हैं, आसान भाषा में यह आकर्षण को बढ़ाता हैं।
ऑक्सीटोसिन: इसे bonding hormone भी कहते हैं, यह शारीरिक और भावनात्मक निकटता को बढ़ाता हैं। जब यह रिलीज होता हैं, रिश्ते में दोनों ओर से प्रेम और विश्वास भी बढ़ता हैं।
सेरोटोनिन: यह मूड को सेटल करता हैं, लेकिन शुरुआती प्यार के समय में इसकी कमी देखी जा सकती हैं, जिससे हम उस व्यक्ति के बारे में बार-बार सोचते हैं।
दिल का खुश रहना, आपके चेहरे पर बिना कारण मुस्कराहट आना यह सब beneafits of relationship हैं, जो जीवन का अहम हिस्सा बन जाते हैं।
ब्रेक-अप: दिल सच में टूटता हैं (Breaking a Relatioship Feels)
जब रिश्ता टूटता हैं तो मस्तिष्क में वहीं एरिया ऐक्टिव होते हैं जो शारीरिक दर्द के समय होते हैं, यह सिर्फ एक मुहावरा नहीं यह एक वास्तविक दर्द हैं जो दिल के टूटने समय महूसस होता हैं। कॉर्टिसॉल हार्मोन का रिलीज होना यह बताता हैं कि दिल वास्तविक में दर्द महसूस करता हैं।
कॉर्टिसॉल: जब कोई भी अनचाही घटना होती हैं तो कॉर्टिसॉल रिलीज होता हैं, और ब्रेक-अप भी ऐसी ही घटना हैं, यह तनाव को बढ़ा देता हैं जिससे नींद, भूख और सोचने की क्षमता को प्रभावित करता हैं।
सोशल विड्रॉल: ब्रेक-अप के बाद सोशल - विड्रॉल भी हो जाता हैं, जो डिप्रेशन को बढ़ा देता हैं। और ब्रेक-अप सिर्फ दिल तक नहीं मन से भी जुड़ा हैं जो व्यक्ति को मानसिक रूप से बीमार भी कर सकता हैं।
breaking a relationships अगर सही तरीके से हो तो दर्द गहरा नहीं एक समझदार फैसला बनता हैं।
मनोवैज्ञानिक असर : पहचान और आत्मसम्मान की पुनर्रचना
प्यार के शुरुआती दिनों पर शायद कम कंट्रोल हो लेकिन रिश्ते में जुड़ना और अलग होना दोनों को एक म्यूचूअल सहमति की तरह देखा और बनाया जा सकता हैं। और अक्सर महिलाएं जब रिश्ते से अलग होती हैं तो खुद को उनसे अलग होकर अपनी पहचान पर प्रश्न छोड़ने लगती हैं कि "मै कौन हूँ और मेरा अस्तित्व क्या हैं ?" वास्तव में व्यक्ति की पहचान उससे स्वयं से होती हैं किसी रिश्ते से नहीं, पर जब रिश्ता टूटता हैं तो ब्रैन में स्कीमा जो रीलैशन्शिप का जुड़ा होता हैं टूटता हैं और असमंजस पैदा करता हैं। लेकिन जब आप आत्म-स्वीकृति और आत्म-निर्भरता को चुनते हैं, तो आप खुद को बेहतर और रिश्तों के जुडने और बिछड़ने से अधिक प्रभावित नहीं होते , क्योंकि कोई भी रिश्ता आपसे ऊपर नहीं होता।