Relationship Tips: जब रिश्तें में सिर्फ़ फिज़िकल इंटीमेसी रह जाए और इमोशंस ख़त्म हो जाए

रिश्तों में जब फिज़िकल इंटीमेसी बढ़कर इमोशनल कनेक्शन कम होने लगे, तो दूरी और असुरक्षा बढ़ने लगती है। जानें कैसे पहचाने और समझें कि आपका रिलेशन सिर्फ शरीर से जुड़ा है या दिल से भी।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Pinterest)

कई बार रिश्तों की शुरुआत बहुत पैशन, अट्रैक्शन और एक्साइटमेंट के साथ होती है। लेकिन समय के साथ अगर रिश्ता सिर्फ फिजिकल इंटिमेसी तक सीमित रह जाए और इमोशनल कनेक्शन कम होने लगे, तो ये दोनों पार्टनर्स में उलझन और असुरक्षा पैदा कर सकता है। ऐसा रिश्ता बाहर से ठीक लगता है, लेकिन अंदर ही अंदर दूरी बढ़ने लगती है। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि सिर्फ physical attraction किसी भी रिश्ते को लंबे समय तक नहीं चला सकता। एक हेल्दी रिलेशनशिप में फिजिकल क्लोजनेस जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी इमोशनल कंफर्ट, ट्रस्ट और समझ भी होती है।

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Relationship Tips: जब रिश्तें में सिर्फ़ फिज़िकल इंटीमेसी रह जाए और इमोशंस ख़त्म हो जाए

1. जब बातचीत कम और physical moments बढ़ जाएँ

अगर रिश्ता ऐसी जगह पहुँच जाए जहाँ बातें कम हों, दिल की बातें और भविष्य की प्लानिंग लगभग खत्म हो जाए और मुलाकातें सिर्फ नजदीकी तक सीमित होने लगें। तो यह सीधा संकेत है कि रिश्ता इमोशनल लेवल पर कमजोर हो रहा है। बातचीत और Emotional bonding की कमी धीरे-धीरे रिश्ते को खोखला बनाती है। जब कॉल, चैट और छोटे-छोटे अपडेट भी कम हो जाएं और फोकस सिर्फ मिलने पर रहे, तो यह दिखाता है कि रिश्ते में अब उतनी गहराई नहीं रह गयी है जितनी शुरुआत में थी।

2. Emotional support की कमी महसूस होना

एक हेल्दी रिश्ते की पहचान यह है कि पार्टनर्स एक-दूसरे की भावनाओं को समझते है और मुश्किल समय में साथ खड़े होते हैं। लेकिन जब पार्टनर आपकी फीलिंग्स, स्ट्रेस या जरूरतों को समझने या support के लिए मौजूद न रहे और रिश्ता सिर्फ फिजिकल कम्फर्ट पर टिक जाए, तो यह imbalance रिश्ते को कमजोर कर देता है। धीरे-धीरे एक-दूसरे की लाइफ, करियर और रोजमर्रा की चीजों में दिलचस्पी खत्म होने लगती है और रिश्ता companionship की जगह सिर्फ एक “arrangement” जैसा महसूस होता है।

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3. Future या commitment की बातें avoid करना

अक्सर पार्टनर बार-बार future की बातों, जैसे साथ में प्लान्स, कमिटमेंट या long term goals से बचता है। और सिर्फ़ momentary closeness पर ध्यान देता है। यह clear साइन है कि रिश्ता deeper लेवल पर आगे नहीं बढ़ रहा। बल्कि केवल नज़दीकी तक सिमट गया है। ऐसे में पार्टनर बार-बार इमोशनल बातचीत को टालने लगता है या बात बदलने की कोशिश करने लगता है। ऐसे रिश्ते की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती। कभी-कभी एक पार्टनर फीलिंग्स develop कर लेता है, जबकि दूसरा ये बात सुनकर अनकंफर्टेबल फील करता है या डिस्कस करने से बचता है। इससे इनसिक्योरिटी, कन्फ़्यूज़न और इमोशनल हर्ट जैसी फीलिंग्स बढ़ सकती है।

4. फिज़िकल नीड्स ही मिलने का purpose हो जाना

हेल्दी रिश्तों में मिलने पर बात करना, घूमना, एक्टिविटीज करना और एक-दूसरे के साथ quality time बिताना शामिल होता है। लेकिन जब हर मुलाकात सिर्फ एक ही तरह की नजदीकी तक सिमट जाए और रिश्ता एक पैटर्न जैसा महसूस होने लगे, तो इसका मतलब है कि इमोशनल इंवेस्टमेंट कम हो चुका है। जब नज़दीकी के अलावा किसी चीज़ में रुचि न बचे, तो यह साफ दिखाता है कि रिश्ता physical fulfilment से आगे नहीं बढ़ रहा।

5. एक तरफा effort और बढ़ती दूरी

अक्सर ऐसे रिश्तों में पहल, प्लानिंग और बातचीत एक ही इंसान करता है, जबकि दूसरा व्यक्ति सिर्फ नजदीकी में रुचि दिखाता है। इस एकतरफा कोशिश से insecurity और इमोशनल डिस्टेंस क्रिएट होने लगता है। रिश्ते में इमोशनल bonding खत्म होने का एक और बड़ा संकेत यह है कि नजदीकी के बाद warmth, affection या emotional closeness महसूस ना हो। जैसे ही physical need पूरी हो, बातचीत खत्म हो जाए या पार्टनर का रवैया बदल जाए। इससे साफ पता चलता है कि रिश्ता दिल से नहीं, सिर्फ शरीर से जुड़ा है।

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