Breastfeeding: स्तनपान एक खूबसूरत और लाभदायक अनुभव होता है जो माँ और बच्चे के बीच एक विशेष बंधन बनाता है। लेकिन कई माताएं इस बारे में सोचती हैं कि उन्हें कब अपने बच्चे का दूध छुड़वाना चाहिए। यह एक व्यक्तिगत निर्णय है और इसमें कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। कुछ शिशु स्वाभाविक रूप से दूध छुड़ाने के संकेत देते हैं, जबकि अन्य को थोड़ा मार्गदर्शन की आवश्यकता हो सकती है।
5 संकेत जो बताते हैं कि आपका शिशु स्तनपान से छूटने के लिए तैयार है
1. दूध पीने में कम रुचि
शिशु जो पहले उत्सुकता से स्तनपान करते थे, वे अब दूध पीने में कम रुचि दिखा सकते हैं। वे दूध पीने के दौरान आसानी से विचलित हो सकते हैं, बार-बार कुप्पा छोड़ सकते हैं या सिर्फ थोड़ा सा दूध पीकर संतुष्ट हो जाते हैं। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि उन्हें अब उतना दूध नहीं चाहिए और वे ठोस आहार से अधिकांश पोषण प्राप्त कर रहे हैं।
2. कम बार दूध पीना
जैसे-जैसे शिशु का पाचन-तंत्र विकसित होता है और वे ठोस आहार का सेवन अधिक मात्रा में करने लगते हैं, वैसे-वैसे वे कम बार स्तनपान की मांग करते हैं। शिशु जो पहले हर दो घंटे में स्तनपान करते थे, वे अब हर चार या छह घंटे में दूध पीना चाह सकते हैं। रात में दूध पीने की मांग भी कम हो सकती है।
3. दूध पीने के अलावा भूख मिटाने के तरीके खोजना
जब शिशु ठोस आहार का स्वाद लेना शुरू करते हैं, तो वे दूध पीने के अलावा भूख मिटाने के अन्य तरीके खोज सकते हैं। वे आपके खाने में दिलचस्पी दिखा सकते हैं, अपने हाथों और खिलौनों को मुंह में डाल सकते हैं या यह संकेत देने के लिए अपना मुंह खोल सकते हैं कि वे भोजन चाहते हैं। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि उनका शरीर अब ठोस आहार से पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है।
4. स्तन से ध्यान हटाना
कुछ शिशु स्तनपान के दौरान बेचैनी दिखाना शुरू कर सकते हैं। वे आपका ध्यान खींचने के लिए तड़प सकते हैं, इधर-उधर देख सकते हैं या दूध पीने के बजाय खेलने में ज्यादा रुचि दिखा सकते हैं। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि वे अब सिर्फ भूख के कारण ही स्तनपान नहीं कर रहे हैं, बल्कि आराम और सुरक्षा की तलाश में भी हैं।
5. काटने या चुभने जैसा व्यवहार
कुछ शिशु मसूड़ों में होने वाले असुविधा के कारण या फिर खेलने के लिए काटने या चुभने जैसा व्यवहार दिखा सकते हैं। हालांकि, यह माँ के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि शिशु अब स्तनपान के लिए तैयार नहीं है और ठोस आहार लेने में अधिक सहज है।