5 ways to teach children to speak up about sexual abuse: बच्चों को समाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के महत्व को समझाना बहुत जरूरी है। सेक्सुअल एब्यूज जैसी चिंताजनक समस्याओं के खिलाफ बच्चों को शिक्षित करना भी इसी का हिस्सा है। बच्चों को सीखना चाहिए कि वे यदि किसी अनजाने व्यक्ति या अपने आस-पास किसी दुष्ट व्यक्ति के द्वारा सेक्सुअल हैरेसमेंट का शिकार होते हैं, तो वे इस बारे में बोलें।
अपने बच्चों को सेक्सुअल एब्यूज के खिलाफ आवाज उठाना सिखाना चाहिए। यह न केवल उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देता है, बल्कि इससे समाज में जागरूकता फैलती है और समाज का माहौल भी सुधरता है। इस आर्टिकल में हम आपको 5 ऐसे तरीके बताएंगे जिनसे आप अपने बच्चों में सेक्सुअल एब्यूज को लेकर जागरूकता बढ़ा सकते हैं।
5 टिप्स, जिनसे आप अपने बच्चों में सेक्सुअल एब्यूज को लेकर जागरूकता बढ़ा सकते हो
1. खुलकर बातचीत करें (Talk openly)
बच्चों को समझाएं कि वे आपके साथ हमेशा खुलकर बातचीत कर सकते हैं। उन्हें यह महसूस कराएं कि आप उनके साथ हैं और उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार हैं। कई बार ऐसा होता है कि घरों में ओपन कम्युनिकेशन ना होने के कारण बच्चे कई सारी बातें अपने माता पिता से छुपाने लग जाते हैं।
2. समय समय पर यौन शोषण के बारे में बात करें (Talk about Sexual Health and Abuse)
बच्चों के साथ समय-समय पर सेक्सुअल एब्यूज के बारे में बात करें। उन्हें यह समझाएं कि क्या होता है और उन्हें कैसे बचना चाहिए। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि यह एक गलत कार्य है और इसके खिलाफ आवाज उठाना हम सब की जिम्मेदारी है, जिससे इस तरह के गंदे काम समाज से कम हो पाए।
3. सुरक्षित जगह का महत्व (Importance of safe places)
बचपन में बच्चों को किसी अंजान व्यक्ति के हाथ से कुछ ना खाने के साथ साथ, बच्चों को यह भी समझाएं कि वे हमेशा सुरक्षित जगह पर रहें और किसी भी अनजाने व्यक्ति के साथ अकेले में न जाएं। बच्चों को यह समझाना बेहद जरूरी है कि किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा करना खतरनाक है।
4. शिक्षा और जागरूकता (Education and Awareness)
बच्चों को सेक्सुअल एब्यूज, हैरेसमेंट के बारे में जागरूक करने के लिए उन्हें शिक्षा और जागरूकता प्रदान करें। यह बेहद महत्वपूर्ण है कि बच्चों को स्कूल के साथ साथ घर पर भी सेक्स एजुकेशन दी जाए, जिससे बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रहे।
5. सहारा प्रदान करें (Support them)
बढ़ती उम्र में सिर्फ एक माता पिता ही हैं, जो बच्चों के सच्चे साथी होते हैं। बच्चे अपने पैरेंट्स से ज्यादा और किसी पर हद से ज्यादा विश्वास नहीं करते। अपने बच्चों को समझाएं कि अगर उन्हें किसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़े, तो वे हमेशा आपके साथ हैं।