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माँ-बाप और बच्चे कैसे अपने बीच Generational Gap को कम कर सकते हैं

जेनरेशन गैप के आने से बच्चों और पेरेंट्स की सोच, व्यवहार और ऐटिटूड में फर्क आ जाता है। किसी भी चीज़ के प्रति जो अप्रोच होती है उसमें भी फर्क देखने को मिलता है।

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Rajveer Kaur
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Generation Gap

Generation Gap (Image Credit: Topper)

 Parents and Children Bridge Generational Gap: जेनरेशन गैप के आने से बच्चों और पेरेंट्स की सोच, व्यवहार और ऐटिटूड में फर्क आ जाता है। किसी भी चीज़ के प्रति जो अप्रोच होती है उसमें भी फर्क देखने को मिलता है। इस चीज़ को ज्यादा हाईलाइट करने की जरुरत नहीं होती है बल्कि इसे समझने की जरुरत है। यह चीज़ बिलकुल ज़ाहिर या सपष्ट होती है कि ऐसी समस्या दोनों के बीच आ सकती है। आइए जानते है कि कैसे इसे रिश्तें में से कम कर सकते हैं -

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माँ बाप और बच्चे कैसे अपने बीच Generational Gap को कम कर सकते हैं 

माँ बाप और बच्चों के बीच अक्सर ही जेनरेशन का फ़ासला आ जाता है जो रिश्ते के बीच समस्या खड़ी कर देता है। माँ बाप और बच्चों दोनों को यह चीज़ समझनी चाहिए कि उम्र के फ़र्क़ से सिर्फ़ उम्र का फ़ासला नहीं होता और भी बहुत सारी चीजें  चेंज हो जाती  है।

1.एक दूसरे को स्वीकार कीजिए 

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माँ-बाप इस चीज़ को स्वीकार करें और समझे कि बच्चों और हमारे बीच एक जेनरेशन का गैप है। इसमें आपकी सोच और जो आजकल की चीज़ें उसके प्रति एप्रोच में फर्क आएगा। इसलिए बच्चों को उस चीज़ के लिए बैशिंग मत कीजिए। बच्चे भी इस चीज़ को समझे उन्हें भी आज के समय की चीज़ों को समझने में फर्क आएगा। 

2.दिमाग को खुला रखें 

पेरेंट्स और माँ-बाप अपने दिमाग को खुला रखें। पेरेंट्स को इस बात को समझना चाहिए जब वे बच्चे थे तब चीज़ें अलग थीं लेकिन अब समय अलग है।  अब उनके तरीके काम नहीं करेंगे आज की जेनरेशन स्मार्ट हो चुकी है उसे वो पुराने तरीके पसंद नहीं आते जो उनके पेरेंट्स के समय थे। इसलिए वो उन चीज़ों को बच्चों पर मत थोपे। इसके साथ बच्चे भी समझें। 

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3.गलती या फ़ैल होने पर डांटे नहीं 

यह सोच अब आउटडेट हो चुकी बच्चे को गलती होने पर पेरेंट्स डांटने लग जाएं। पेरेंट्स फ़ैल होने पर खुश हो कि उनका बच्चा कुछ कर रहा है।  बच्चे को गिरकर उठना सिखाएं न कि गिरकर रुकना। बच्चे का मनोबल बढ़ाएं और उसकी ताकत बनें। 

4.बच्चे पेरेंट्स को नई चीज़ें सिखाने में मदद करें 

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कई बार बच्चे भी माँ-बाप को टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया या फिर आजकल के ट्रेंड को न समझने पर उनका मजाक बनाते हैं। इसके साथ उस चीज़ को अपने लिए एक बुरी चीज़ भी मानते है हमारे पेरेंट्स को पता नहीं है। इसमें बच्चों की ज़िम्मेदारी बनती है कि पेरेंट्स को इस चीज़ से अवगत कराएं। उनकी इस चीज़ में मदद करें। बच्चों को समझना चाहिए अगर उनके समय में भी ऐसी चीज़ें होती उन्हें अवश्य पता होती। 

5.बातचीत करें और सुने 

सबसे बड़ी बात हम दूसरे को सुनते नहीं है जो हमारे दिमाग में होता है उसके आधार पर फैसला बना देते हैं। ऐसा मत करें दोनों एक दूसरे को सुने और बातचीत करें।  इससे चीज़े काफी आसान होंगी और एक दूसरे को समझने का मौका मिलेंगा।  इसके साथ गैप भी दोनों में काम हो सकता है। 

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