Advertisment

Parenting Tips: अपने बच्चे की इमोशनल स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए ये करें

बच्चों को इमोशनल चीज़ों से डील करना कोई सीखा कर नहीं भेजता। पैदा होते ही वो एक भाषा बोलते हैं और वो है रोना या ना रोना। हसना, खुश होना, खेलना कूदना, यह सब उन्हें बड़े होते होते सिखाया जाता है, और भी कईं इमोशंस उसके साथ जुड़कर आते हैं।

author-image
Ayushi Jha
New Update
(Image Credit Freepik)

(Image Credit Freepik)

How To Train Your Childs Emotional Strength: बच्चों को इमोशनल चीज़ों से डील करना कोई सीखा कर नहीं भेजता। पैदा होते ही वो एक भाषा बोलते हैं और वो है रोना या ना रोना। हसना, खुश होना, खेलना कूदना, यह सब उन्हें बड़े होते होते सिखाया जाता है और जैसे ही ये सीखते हैं तो साथ ही और भी कईं इमोशंस उसके साथ जुड़कर आते हैं। समय के साथ बच्चे के अपने आदत, सोचने का तरीका और अपनी सेंसिटिविटी डेवेलोप हो जाती है। ऐसे चीज़ों में सही समय पर बच्चों को सही बातें सीखानी चाहिए ताकि खुदके लिए पर्सनालिटी चुनने वक़्त, वो इनसब चीज़ों से भी कुछ सीख ले और बेहतर बनने की कोशिश करे। आइये जाने कैसे हम अपने बच्चों का इमोशनल स्ट्रेंथ मज़बूत कर सकते हैं। 

Advertisment

अपने बच्चे की इमोशनल स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए ये करें

1. अपने इमोशन को एक्सप्रेस करने की फ्रीडम समझाएं

अपने बच्चे को सिखाएं की अपनी इमोशन को अंदर जमा करके नहीं रखनी चाहिए। ऐसे में जेलसी, एंगर और टॉक्सिसिटी बढ़ती है मन में। बच्चों में हिन् भावना आने लगती है लेकिन जब यही बच्चें अपने इमोशन को ठीक से एक्सप्रेस करते हैं तो वो अंदर से भी साफ़ ह्रदय के होते हैं और मन में कोई भी बात नहीं रखते हैं। 

Advertisment

2. प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल सिखाएं 

अपने बच्चे को प्रॉब्लम सोल्व करने की स्किल सिखाएं ना की उससे भाग जाने की। उन्हें कम्फर्टेबले महसूस कराएं अपने साथ ताकि कभी अगर कोई ऐसी बात हो गयी जिसे वो खुद ना संभाल पाएं तो वो आपके पास आने से डरे नहीं बल्कि आपसे मदद लेने आएं। 

3. हेल्थी कोपिंग मैकेनिज्म को प्रैक्टिस कराएं 

Advertisment

अपने बच्चों के लिए अच्छे और हेल्थी रोल मॉडल बने जब बात कोपिंग मैकेनिज्म पर आएं। उन्हें स्ट्रेस, ग्रीफ, एंगर और ख़ुशी जैसे मेजर इमोशंस को सही से दर्शाना सिखाएं, उसके बारे में खुलकर बात करना सीखाएं। 

4. रिअलिस्टिक एक्सपेक्टेशंस ही सेट करें 

अपने बच्चों से ओवरअचीव करने वाले एक्सपेक्शन्स ना बनाएं। ये उनपर प्रेशर बनता है, बल्कि उन्हें सिखाएं की वो खुद भी लिमिट में ही अचीव करने का सोचें छोटी उम्र में। 

5. सेल्फ रिफ्लेक्ट करना सिखाएं

बच्चों को अपनी गलतियां, सोच और व्यवहारों पर सेल्फ रिफ्लेक्ट करना सीखाएं और उन्हें अच्छे व्यव्हार के लिए बढ़ावा दें। 

बच्चे Emotional Strength इमोशनल स्ट्रेंथ
Advertisment