Is Homeschooling Right for Your Child? हम सब का बचपन स्कूल में बीता है और हमारी बहुत सारी यादें भी स्कूल साथ जुड़ी हुई हैं। आज के समय में बहुत सारे पेरेंट्स होमस्कूलिंग की तरफ बढ़ रहे हैं। यह पढ़ाई का ऐसा तरीका है जिसमें बच्चे ट्रेडिशनल तरीके से स्कूल नहीं जाते बल्कि माता-पिता खुद उन्हें पढ़ाते हैं। माता-पिता कई कारणों से अपने बच्चों के लिए होम स्कूलिंग चुनते हैं जैसे वो पढ़ाई के लिए उपलब्ध ऑप्शन से नाखुश होते हैं। इसके साथ ही उनका यह मानना होता कि आज के ट्रेडिशनल स्कूल स्ट्रक्चर में ग्रोथ नहीं है। इसलिए भी कुछ मां-बाप अपने बच्चों के लिए होमस्कूलिंग चुनते हैं ताकि बच्चों के ऊपर फालतू प्रेशर ना पड़े और वे अपनी स्पीड से पढ़ाई में आगे बढ़े। आईए जानते हैं कि यह पढ़ाई का अच्छा तरीका है या नहीं?
Homeschooling को बच्चे के लिए चुनना सही या गलत?
समझें फायदे और नुकसान
यह जानने के लिए कि होमस्कूलिंग आपके बच्चे के लिए अच्छी है या बुरी तो आपको इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानना होगा। अगर हम होमस्कूलिंग के फायदों की बात करें तो यह बच्चे के लिए पढ़ाई का व्यक्तिगत ऑप्शन है। इस तरह बच्चे के इंटरेस्ट, लर्निंग स्टाइल, टाइमिंग और इंटरेस्ट के हिसाब से आप उन्हें पढ़ाई करवा सकते हैं। उसे किसी एक फिक्स्ड शेड्यूल को फॉलो नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही उसके ऊपर अपने साथियों का कोई प्रेशर नहीं होगा।
पढ़ाई के इस स्ट्रक्चर में बच्चा ज्यादा समय अपने फैमिली को दे पाएगा क्योंकि स्कूल जाने से बच्चे का बहुत सारा समय घर से बाहर गुजरता है। इस तरह बच्चे की लर्निंग के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया जाता है ना कि उसके मार्क्स पर। इसके साथ ही उसकी तुलना दूसरों से नहीं होती बल्कि पढ़ाई को उसके हिसाब से एडजस्ट किया जाएगा। आज के समय में स्कूलों की तरफ से बच्चों के ऊपर पढ़ाई का प्रेशर बनाया जा रहा है। ऐसे में अगर आप होमस्कूलिंग का रास्ता अपने बच्चे के लिए चुन रहे हैं तो वह मेंटल स्ट्रेस से बच सकता है।
इसके नुकसान की बात करें तो होमस्कूलिंग में बच्चा अकेलेपन का शिकार हो जाता है। उसे अपनी उम्र के बच्चों का साथ नहीं मिलता। जब बच्चा अपनी उम्र के बच्चों के साथ समय व्यतीत करता है तो बहुत सारी चीजों को दूसरे बच्चों से सीखता है। इससे उसकी पर्सनल ग्रोथ भी होती है। अगर माता-पिता बच्चें की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी खुद के ऊपर ले लेते हैं तो उनके बर्नआउट होने के चांसेस भी बहुत बढ़ जाते हैं।
यह पेरेंट्स के माइंडसेट के ऊपर निर्भर करता है कि वह अपने बच्चों को कैसी शिक्षा दे रहे हैं। ऐसे में यह भी हो सकता है कि बच्चे का माइंडसेट ज्यादा ग्रोथ ना करे और वे बहुत ही कम दायरे में चीजों को देखना शुरू कर दें। बच्चों का दूसरे बच्चों से गैप बहुत ज्यादा बढ़ जाता गई क्योंकि दूसरे बच्चों ले साथ ज्यादा कनेक्टड नहीं रहता और घर के कंफर्ट माहौल में ही बड़ा होता है। जब बच्चे को घर से बाहर जाकर स्ट्रगल करना पड़ेगा और दुनियादारी से सामना होगा तो उसे मुश्किल आ सकती है।
समझदारी से लें फैसला
ऐसे में होम स्कूलिंग के ऑप्शन को चुनना माता-पिता की पर्सनल चॉइस है। इसके लिए उन्हें इसके फायदे और नुकसान दोनों के बारे में जानना होगा। इसके साथ ही आपको अपने बच्चे की स्थिति को भी एनालाइज करना चाहिए कि उसके लिए क्या बेहतर है। उसकी निजी जरूरत और लर्निंग स्टाइल के ऊपर भी जरूर ध्यान देना चाहिए। कई बार कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें व्यक्तिगत पढ़ाई की जरूरत होती है। उन्हें बाकी बच्चों से ज्यादा ध्यान की जरूरत होती है लेकिन कुछ बच्चों को इसकी जरूरत नहीं होती तो यह बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला है और आपको सोच समझ ही चुनाव करना चाहिए।