Signs Of Toxic Parents: हमारे समाज में मां-बाप को सबसे ऊपर दर्जा दिया जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह अपने बच्चों के साथ जो करते हैं वह सही है। पेरेंट्स भी टॉक्सिक हो सकते हैं उन्हें समाज में बहुत ओवररेटेड किया है। उनसे भी पेरेंटिंग में गलतियां हो सकती हैं लेकिन अगर वह उन्हें व्यवहार को समझ लें और उसमें बदलाव कर लें तो उसके जैसी भी बात कोई नहीं है। आज हम आपको बताएंगे कि टॉक्सिक पेरेंटिंग के क्या लक्षण हो सकते हैं-
टॉक्सिक पेरेंट्स होने की ये निशानियाँ जान लें
मारपीट और गाली गलोच
टॉक्सिक पैरंट ऐसे होते हैं जो बच्चे की गलती पर मारते है उन्हें लगता है ऐसे व्यवहार से बच्चे सुधर जाएंगे लेकिन यह सोच गलत है। इससे बच्चे के अंदर डर बैठता है और उसकी मानसिक सेहत बहुत ज्यादा प्रभावित होती है। बच्चा सही काम करने से पहले भी कई बार सोचता है कि वह कुछ गलत तो नहीं कर रहा है।
बच्चों को कंट्रोल करना
मां-बाप को लगता है कि अगर बच्चों को कंट्रोल नहीं करेंगे तो बच्चे उनके हाथ से निकल जाएंगे गलत संगत में पड़ जाएंगे। बच्चों को कंट्रोल करने से ज्यादा जरूरी है बच्चे को गाइड करना अगर आप बच्चे को गाइड करेंगे इससे बच्चा सही गलत के बीच में अंतर जाने लगेगा जिससे वह खुद ही ऐसी संगत से या ऐसे मामले से दूर रहेगी जिस जिससे उसे नुकसान हो सकता है लेकिन कंट्रोल करने से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के ऊपर बहुत बुरा असर पड़ता है।
अपनी सोच बच्चे पर थोपना
भारत में बहुत सारे पेरेंट्स ऐसे हैं जो बच्चों पर अपनी सोच थोपते हैं जैसे बच्चे को शौक नहीं पूरे करने देते मान लीजिए अगर बच्चा आर्ट्स में जाना जाता है और अपने पैशन को फॉलो करना चाहता है तो पैरेंट्स उसे इंजीनियरिंग या डॉक्टर में डाल देते हैं फिर बच्चे इंटरेस्ट की कमी के कारण टेस्ट पास नहीं कर पाते आखिरकार वह सुसाइड कर लेते हैं। ऐसा मत करें बच्चे को वो करने दे जिसमें उसका मन है।
मां बाप और बच्चों के बीच बाउंड्रीज का ना होना
हर रिश्ते की एक मर्यादा और सीमा होती है अगर जब वो हम पर कर जाते हैं तो रिश्ता खराब होने लगता है ऐसे ही मां-बाप और बच्चों के बीच भी बाउंड्री होना जरूरी है। कई बार मां-बाप उस बाउंड्री को पार कर जाते हैं जिससे बच्चे मानसिक तौर से परेशान हो जाते हैं जैसे बच्चों को हर समय पूछते रहना कहां जा रहे हो, कहां से आ रहे हो किसके साथ थे। ऐसी चीज बच्चों को बहुत परेशान करती हैं ऐसा मत करें।
बच्चों की प्राइवेसी में शामिल होना
प्राइवेसी हर व्यक्ति के लिए जरूरी है चाहे वह पेरेंट्स, बच्चे और पार्टनर्स हो। इसलिए उनकी प्राइवेसी में मत शामिल होइए। उन्हें उनकी पर्सनल स्पेस दीजिए। इससे बच्चा सहज और सुरक्षित महसूस करेगा।
उनकी Sexuality को न अपनाना
हमारे बीच ऐसे बहुत कम पैरेंट्स होंगे जो बच्चों के एलजीबीटी होने पर उनके साथ देते होंगे। बहुत सारे इस बात पर इतने टॉक्सिक हो जाते हैं कि वह बच्चों को सेक्सुअलिटी को मानने के लिए ही तैयार नहीं होते। इस बात के लिए बच्चों को मारपीट करते हैं लेकिन इससे सच नहीं बदलेगा।
ऐसे ही और बहुत सारे लक्षण है टॉक्सिक पेरेंटिंग में आते हैं। ऐसी प्रिंटिंग में रूढ़िवादी और पितृसत्ता सोच का असर है इसके साथ पैरेंट्स के साथ भी ऐसा व्यवहार हुआ होता है जो वह आगे अपने बच्चों के साथ करते हैं लेकिन इसे बदलने की जरूरत है इससे हम बच्चों की मानसिक और शारारिक सेहत पर असर डाल रहे हैं।