Parenting Tips: कभी-कभी माता-पिता अपनी बेटी को ऐसी बातें कह देते हैं जिससे कि उनके आत्मविश्वास को चोट पहुंचती हैI परिणामस्वरूप उनका सेल्फ-कॉन्फिडेंस घटने लगता है और वह जीवन की लड़ाई में पीछे छूट जाती हैंI यदि आप चाहते है कि आपकी बेटी बड़ी होकर निडर और हिम्मती बने और उसके व्यक्तित्व गठन को बढ़ावा मिलेI तो आपको कुछ बातें अपनी बेटी से कभी नहीं कहनी चाहिएI
बातें जो माता-पिता को अपनी बेटी से कभी नहीं कहनी चाहिए
1. "यह कैसे कपड़े पहने हैं"
जब एक लड़की बड़ी होती है तब वह अपना पहनावा खुद ठीक करती है ऐसे में यदि उसको बार-बार यह याद दिलाया जाए कि उसे किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए तो वह खुद से कभी भी यह नहीं तय कर पायेगी कि उसका मन क्या चाहता है और वह कौन से कपड़ों में खुद को आरामदायक महसूस करती हैI माता-पिता को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि कपड़े छोटे हों या बड़े हों इससे आपकी लड़की का चरित्र का कोई लेना देना नहीं हैI उसका चरित्र उसके व्यवहार, उसकी सोच से झलकता है और यह बात अपने लड़की के मन में बिठाना गलत है यदि कोई और भी यह प्रश्न आपसे करे तो आपको भी यही बात उसे बतानी चाहिएI
2. "अपनी शक्ल आईने में देखी है"
हम काले हों या गोरे हों, लंबे हों या नाटे हों, इससे हमारी सुंदरता नहीं परखी जा सकती परंतु जब कोई माता-पिता अपनी बेटी को उसके रंग-रूप या कद- काठी के आधार पर प्रश्न करे या किसी दूसरी लड़की जिसे वह सुंदर मानते हों उससे अपनी बेटी की तुलना करें तो उन्हें पता होना चाहिए कि इसका उनकी बेटी पर किस हद तक नकारात्मक असर कर सकता है क्योंकि इससे ना केवल उसका व्यक्तित्व घटता है और बल्कि वह अपने आपको दूसरों से कमतर महसूस करने लगती है जिसके कारण उसमें 'इनफीरियर कंपलेक्सिटी' की भावना जन्म लेती हैI
3. " कितनी मोटी हो गई हो"
कभी भी किसी भी लड़की के वज़न पर राय नहीं बनानी चाहिए या उसका मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिएI यह जाहिर सी बात है कि एक माता पिता अपनी बेटी के स्वास्थ्य को लेकर अवश्य चिंतित हो सकते है और उसे सलाह दे सकते हैं कि वह अपने आप को फिट रखे परंतु वह जब इस बात को उसके दिखावटी सुंदरता का आधार बनाए तो वह अत्यंत गलत एवं माननीय हैI इससे आपकी बेटी अपने ना केवल अपने शारीरिक गठन के आधार पर खुद को शर्मिंदा महसूस करने लगेगी बल्कि उसका अपने ऊपर से आत्मविश्वास उठ जाएगाI
4. इतना पढ़ कर क्या होगा आखिर में शादी ही तो करनी है
हर मां-बाप का यह सपना होता है कि वह अपनी बेटी की शादी करवाएं और यह कोई बुरी बात नहीं है परंतु वही शादी यदि उसके शिक्षा एवं उसके सुनहरे भविष्य के आड़े आए तो यह बात गलत हैI शादी तो कभी ना कभी होगी परंतु माता-पिता का अपनी बेटी के प्रति सबसे महत्वपूर्ण दायित्व उसकी शिक्षा होनी चाहिए ताकि आगे चलकर वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके और सिर उठाकर जी सकेI परंतु शादी उसका अपना निर्णय होना चाहिए कि वह कब और किससे शादी करेंगीI हर लड़की को अपने जीवन में इतना सक्षम बनना चाहिए कि वह अपना दायित्व खुद ले सकें और उसके बाद में जाकर अपने पति या किसी के ऊपर निर्भर ना होना पड़ेI
5. "अब खुशखबरी कब सुना रही हो"
मां बनना शायद एक बहुत ही अमूल्य भेंट होती है किसी भी नारी के जीवन में परंतु यह तभी होती है जब वह मां अपने मर्ज़ी से बनती है ना की किसी दबाव सेI एक माता-पिता को कभी भी अपनी बेटी को यह निर्णय लेने पर मजबूर नहीं करना चाहिए कि वह मां कब बनेगी क्योंकि जब शरीर उसका है तो निर्णय भी उसी की होनी चाहिएI
6. " शादी में थोड़ा बहुत कॉम्प्रोमाइज तो करना पड़ता है"
आपने अपनी बेटी को पढ़ाया-लिखाया, इस काबिल बनाया ताकि वह अपने फैसले खुद ले सके, अपनी लड़ाई खुद लड़ सके ना कि किसी गलत बात को सहती रहे, एडजस्ट करने के नाम पर क्योंकि एक रिश्ता तभी कामयाब बनता है जब उससे जुड़े दो लोग एक दूसरे को समझे ना कि एक मनमानी करता रहे तो दूसरा उसे सहन करेI माता-पिता को अपनी बेटी को यह सिखाना चाहिए कि वह अपने जिंदगी में कभी भी किसी बात पर समझौता ना करेंI
7. "तुम्हारी उमर हो रही है"
मनुष्य है तो उमर अवश्य होगी, हमारे रूप में एवं शारीरिक गठन में उसका असर अवश्य दिखेगी यह तो अनिवार्य है इसे भला कौन रोक सकता है परंतु बुरा तब लगता है जब कोई एक औरत के उमर पर टिप्पणी करे और जब यही आपके माता-पिता करें तो और भी बुरा लगता हैI उमर का किसी के शादी से या मां बनने से कोई भी लेना-देना देना नहीं हैI यह निर्णय आपकी बेटी को तभी लेनी चाहिए जब वह मानसिक तौर पर इसके लिए प्रस्तुत हो क्योंकि विवाह प्रेम से बनता है ना कि किसी की उमर देख करI