Law And Her: भारत में बड़ी आबादी के लोग हिन्दू हैं और इनके शादियों की रीत, रसम और रिवाज़ अपने तरीके के होते हैं। इन तरीकों और रिवाज़ों में भी किसी के साथ भी कुछ गलत या भेद भाव न हो, इसके लिए देश के कानून में हिन्दू मैरिज करके एक एक्ट बनाया गया था। इस एक्ट के अनुसार भारत में रहने वाले हिन्दू विवाहित कपल्स के लिए कुछ नियम और कानून के सेट दियें गए हैं जिनका पालन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो पति या पत्नी या दोनों पर धाराएं लग सकती है। आइये जाने हिन्दू मैरिज एक्ट के 5 ऐसे कानून और अधिकार जो महिलाओं को पता होने चाहिए।
Hindu Marriage Act के 5 Laws जो महिलाओं को पता होने चाहिए
(5 Laws Of The Hindu Marriage Act That Women Should Know)
1. शादी करने की मिनिमम एज
शादी करने की एक मिनिमम ऐज होती है जो भारत में महिलाओं के लिए 18 साल है। महिलाओं के लिए यह ज़रूरी है कि वो शादी करने से पहले अपने लीगल ऐज 18 से ऊपर हैं या नहीं, इसको सुनिश्चित कर लें।
2. मोनोगैमी
भारतीय हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत, भारत में सिर्फ एक शादी यानि की मोनोगैमी लीगल है। कोई भी हिन्दू पुरुष या महिला एक से ज़्यादा शादियां नहीं कर सकतें। पोलीगेमी जैसी प्रथा हिन्दू शादियों में वर्जित ही होती है और भरात में इललीगल है। यदि कोई हिन्दू इंसान एक शादी से बिना डिवोर्स लिए दूसरी शादी करले, तो उसके दूसरी शादी को लीगल नहीं माना जाएगा।
3. कंसेंट ज़रूरी है
महिला की कंसेंट शादी के लिए बहुत ही ज़रूरी है। यदि कोई महिला शादी करने के लिए हां नहीं कहती है तो उससे ज़बरदस्ती नहीं कराई जा सकती क्यूंकि फिर वह शादी वोयड हो सकती है। महिलाओं को अपनी फ्री विल और कंसेंट देने का पूरा अधिकार है किसी भी शादी के निर्णय में।
4. राइट टू मेन्टेन्स शादी के दौरान
शादी के दौरान भी, अगर महिला फाइनेंसियली इंडिपेंडेंट नहीं होती है तो उसे अपने पार्टनर से मेंटेनन्स मिलने का अधिकार है।
5. शादी की लीगल रजिस्ट्रेशन
हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत यह भी बहुत ज़रूरी है कि आपने अपने शादी को लीगल तरीके से रजिस्टर कराएं ताकि आप दोनों इससे जुड़े अधिकार और बेनिफिट्स और लुफ्त उठा सकें, अपने शादी को लीगली एस्टब्लिश करने के साथ-साथ।