Menopause : मेनोपॉज पीरियड्स का ठहराव है। यह रिप्रोडक्शन के अंत का संकेत देता है, जहाँ महिला गर्भवती नहीं होती सकती है। मेनोपॉज महिलाओं के 40’s या 50’s के शुरू के सालों में होता है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में अंडाशय द्वारा एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम होने लगता है, जिससे हीट लगना (hot flashes), वजन बढ़ना या योनि का सूखापन जैसे लक्षण दिखाई देते है। यह ध्यान रखने की बात है की मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक महिला के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है।
मेनोपॉज के बारे में हर महिला को क्या पता होना चाहिए
1. महिलाओं में मेनोपॉज किस उम्र में
महिलाओं में मेनोपॉज की शुरुआत 46 वर्ष है। कुछ- कुछ महिलाओं में 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच मासिक धर्म आना बंद हो जाता है। महिलाओं में अंडाशय का कार्य मेनोपॉज से कुछ वर्षों पहले घटना शुरू हो जाता है। जबकि कुछ महिलाओं को 50 की उम्र के बाद भी मासिक धर्म जारी रहता है। लेकिन अगर धूम्रपान और कीमोथेरेपी जैसें भी ओवरी के कार्य में गिरावट बहुत तेजी से देखते है जिसके कारण कुछ महिलाओं में समय से पहले मेनोपॉज हो सकती हैं।
2. पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ में क्या अंतर है
पेरिमेनोपॉज़ मेनोपॉज की शुरुआत होने से ठीक पहले का समय है। महिलाओं मे काफी बदलव देखा जाता है इस मे अंडाशय से हार्मोन का बढ़ावा कम होने लगता है। हीट लगना और अनियमित मासिक धर्म पेरिमेनोपॉज़ के संकेत होते हैं। जब आपका मासिक धर्म लगातार 12 महीनों तक नहीं आता है, तो इसका मतलब आप मेनोपॉज में आ चुके है।
3. एस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर में कमी के कारण उत्पन्न होने वाले लक्षण कौन से हैं
हीट एस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर में कमी दिखना एक लक्षण है लगभग 75% महिलायें मेनोपॉज के दौरान महसूस करती हैं और भी लक्षणों जैसे थकान, कॉन्सेट्रेसन करने में परेशानी, योनि मे लूब्रिकेशन में कमी के कारण संभोग में दर्द महसूस होना, और स्तन में दर्द होना। कुछ महिलाओं को मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द या मूड स्विंग भी हो सकते है।
4. hot flashes कैसा लगता है
हॉट फ्लैश के दौरान, महिलाएँ के शरीर के तापमान में काफी बदलाव देखा जाता है जैसे की अत्यधिक पसीना, पल्पिटेशन, और चक्कर महसूस हो सकते हैं। इसे के अलवा ऊपरी शरीर और त्वचा मे लाली या दागदार त्वचा हो जाती है। शरीर के तापमान में इस अचानक बदलाव के कारण हॉट फ़्लैश के ठीक बाद ठंड लग सकती है। आमतौर पर इसका अनुभव महिलाओं में अलग अलग होता है और कभी 30 सेकंड तो कभी 10 मिनट तक रह सकता है।
5. मेनोपॉज़ आपके पेरिमेनोपॉज़ के स्वास्थ्य को कैसे असर करती है
मेनोपॉज़ के दौरान एस्ट्रोजेन हॉर्मोन में गिरावट आने के कारण हड्डियों में कैल्शियम की कमी होने लगती है। जिससे हड्डियों का काम करना कम होने लग जाता है, और ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी हो सकती है। अंतिम मासिक धर्म के बाद पहले कुछ वर्षों में महिलाओं में हड्डियों के में तेज़ी से कमी होने लगती है जिससे महिलाओं मे कूल्हे, रीढ़ और अन्य हड्डी के फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है। हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आपको कैल्शियम डेयरी और पत्तेदार सब्ज़ियाँ ज्यादा खानी चाहिए और विटामिन D के सप्लीमेंट लेने चाहिए। धूम्रपान और शराब का सेवन हड्डियों के स्वास्थ्य को और खराब करता है, इसलिए इसका सेवन ना करे। वजन और अन्य एक्सरसाइज़ को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से भी हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और वजन भी कंट्रोल रहता है।
6. क्या मेनोपॉज़ में वजन बढ़ना सामान्य है
उम्र बढ़ने के साथ-साथ हार्मोन चेन्ज के कारण वजन बढ़ने का कारण हो सकता है। संतुलित आहार, नियमित ऐक्सरसाइज, और स्वस्थ आदतों को अपनाने से वजन कंट्रोल रह सकता है। अधिक वजन होने से आप में हार्ट ऐटैक, डाइयबैटीज और अन्य बीमारीयों का खतरा भी बढ़ सकता है।