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निमोनिया(Pneumonia) लंग्स में होने वाला इन्फेक्शन हैं, जिससे फेफड़ों की थैलियां सूज जाती हैं और उनमें तरल या पस भर जाता हैं। इससे सांस लेने में कठिनाई, बुखार, खांसी और सीने में दर्द होता हैं। लेकिन महिलाओं और बच्चों के लिए यह केवल एक मौसम में होने वाली बीमारी नहीं हैं। बल्कि यह उनके जीवन के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं। भारत में हर साल लाखों बच्चे और महिलाएं इसके इन्फेक्शन से इंफेक्टेड होती हैं। आंकड़े बताते हैं कि इसके प्रति लापरवाही करना महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा दोनों के लिए खतरा हैं। 5 साल से छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को इससे इंपैक्ट होने के चांसेज हाई होते हैं।
Breath Check, Ladies: महिलाएं निमोनिया को नज़रअंदाज़ क्योंई नहीं कर सकतीं
भारत में निमोनिया का बोझ
2021- 22 में भारत में लाखों मामले निमोनिया के इन्फेक्शन के दर्ज हुए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कई राज्यों में निमोनिया से मौतें भी हुई हैं। महिलाओं को अक्सर परिवार के बुजुर्गों और बच्चों की देखभाल करते हुए निमोनिया का खतरा बढ़ जाता हैं। यह डबल इफेक्ट चैन को बताता हैं, जिसके कारण महिलाओं को अपने बच्चे और खुद के लिए सतर्क रहने की जरूरत हैं।
निमोनिया नियंत्रण अभियान के माध्यम से बच्चों को निमोनिया से बचाएं। 🛡️सतर्कता और समय पर उपचार से उनका बचपन स्वस्थ और खुशहाल बनाया जा सकता है।👶
— NHM UP (@nhm_up) November 12, 2025
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महिलाओं को इसका खतरा अधिक क्यों?
Pregnant women और after delivery महिलाओं की इम्युनिटी वीक होती हैं तो इसके इंपैक्ट होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। साथ ही आज के समय में Air Quality Index का डाउन होना भी इसका होने का सबसे बड़ा कारण हैं। दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में प्रदूषण ने निमोनिया का खतरा बहुत अधिक बढ़ा दिया हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पोल्यूशन से लाइफ साइकिल 10 ईयर कम होने के हाई चांसेज होते हैं। भारत में अक्सर अधूरा इलाज और डॉक्टर के सलाह बिना एंटी-बायोटिक लेने की आदत के कारण इन्फेक्शन और अधिक बढ़ने के चांसेज होते हैं।
क्या Symptoms हैं? जिन्हें महिलाएं नजरअंदाज न करें
कफ जो लंबे समझ से हो और यदि बलगम के साथ हो तो उसे नजरअंदाज न करें। तेज बुखार और ठंड लगना आम सा लक्षण हैं, लेकिन बहुत अधिक खतरा होता हैं। सांस लेने में कठिनाई और सीने में दर्द भी इसका सबसे बड़ा लक्षण हैं। यह लक्षण कई बार खांसी या वायरल फ्लू से भी लगते हैं इसलिए डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
रोकथाम और समाधान कैसे करे?
बच्चों और महिलाओं के लिए प्न्यूमोकोकल वैक्सीन और फ्लू वैक्सीन ज़रूरी है। आज के शहरों में प्रदूषण के कारण इसका खतरा बढ़ता हैं। प्रदूषण कम करने के लिए मास्क का इस्तेमाल और घर में वेंटिलेशन लगाएं। हेल्थी डाइट और सही आहार को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। डॉक्टर से परामर्श और पूरी दवा का कोर्स करना बहुत जरूरी होता हैं। और साथ ही बीमारी को खुद से ठीक करने की जगह डाक्टर से सलाह लें और जल्दी स्वस्थ हो। महिलाएं न स्वयं में और न ही बच्चों में इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि समय के साथ यह बढ़ती जाती हैं।
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