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Thyroid & Women’s Health: थायरॉइड ग्रंथि शरीर की चयापचय प्रक्रिया (मेटाबॉलिज्म) को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ग्रंथि गले के सामने स्थित होती है और हार्मोन (टी3 और टी4) का उत्पादन करती है, जो शरीर की ऊर्जा, वजन, त्वचा, बालों और हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखने में सहायक होते हैं। लेकिन जब यह ग्रंथि सही तरीके से काम नहीं करती, तो कई स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जिनमें से एक है महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव।
क्या थायरॉइड प्रॉब्लम आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है?
Can thyroid problems affect your fertility?
थायरॉइड और प्रजनन क्षमता का संबंध
थायरॉइड हार्मोन का संतुलन महिला के मासिक धर्म चक्र और गर्भधारण की संभावना को प्रभावित कर सकता है। यदि थायरॉइड ग्रंथि अधिक (हाइपरथायरॉइडिज्म) या कम (हाइपोथायरॉइडिज्म) हार्मोन का उत्पादन करती है, तो इससे अनियमित पीरियड्स, ओव्यूलेशन में गड़बड़ी और गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।
गर्भावस्था पर थायरॉइड की समस्या कैसे असर डालती है?
अगर गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड संतुलित नहीं रहता, तो इससे गर्भपात, समय से पहले प्रसव, कम वजन के बच्चे के मानसिक विकास में समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए, गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड टेस्ट करवाना जरूरी है।
थायरॉइड और PCOS का संबंध
पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) एक हार्मोनल विकार है, जो महिलाओं में अनियमित पीरियड्स और ओव्यूलेशन की समस्या पैदा कर सकता है। कई बार थायरॉइड और पीसीओएस के लक्षण एक जैसे होते हैं और दोनों मिलकर गर्भधारण में मुश्किलें पैदा कर सकते हैं।
थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं से बचाव और इलाज
थायरॉइड समस्याओं को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं। नियमित रूप से ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी है ताकि हार्मोन संतुलन बना रहे। आयोडीन युक्त नमक, हरी सब्जियाँ, नट्स और फल खाने से बचाव हो सकता है। योग और एक्सरसाइज से इसके लक्षणों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। साथ ही थकान, वजन में बदलाव, बाल झड़ना या मूड स्विंग्स जैसी समस्याएँ हों तो तुरंत डॉक्टर से सलाह जरूर लें।