Myths About Breastfeeding: नवजात के जन्म के तुरंत बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने की प्रक्रिया बेहद नार्मल है, ब्रेस्ट फीडिंग से शिशु को न केवल पोषण मिलता है, बल्कि इसे बेबी के लिए कई तरह से बेनेफिशियल भी माना जाता है। लेकिन कई बार सही जानकारी न होने के कारण बेबी को ब्रेस्टफीड कराने वाली मांओं के मन में कई तरह के भ्रम होते हैं, जो की सच नहीं होते हैं। चलिए जानते है ऐसे ही कुछ ब्रेस्टफीडिंग की अफवाहों के बारे में आज के इस ब्लॉग में।
5 Myths About Breastfeeding Which Every Women Should Know
1. एक स्तन में पानी और एक स्तन में खाना होता है
माँ के दोनों स्तनों में दूध होता है। ये दो टाइप का होता है फोरेममिल्क और हिन्दमिल्क ये दोनों तरह के ही दूध बेबी के लिए जरुरी है। इसके अतिरिक्त स्टार्टिंग दिनों में आने वाला दूध जिसे कोलोस्ट्रम बोलते है वो भी बेबी के लिए अमृत की तरह साबित होता है। ये बच्चे को नुट्रिशन देता है।
2.स्तन का साइज छोटे होने पर दूध कम आना
ब्रैस्ट के साइज के अकॉर्डिंग दूध का निर्माण नहीं होता। ब्रैस्ट में दो तरह के सेक्रेटिवे टिश्यू है, इनकी मात्रा ज्यादा होने पर ब्रैस्ट का साइज बड़ा हो जाता है और सेक्रेटिवे टिश्यू मिल्क बनता है तो उस पर निर्धारित करता है की दूध कितना मात्रा में है।
3.बच्चे को 20 मिनट तक ब्रेस्टफीडिंग कराना
ब्रेस्टफीडिंग का ऐसा कुछ निर्धारित समय नहीं होता है। सुखलिंग टाइम मतलब बच्चा कितनी देर तक दूध पी रहा है वो महत्वपूर्ण है। ये 20 से 45 मिनट्स का हो सकता है जो बच्चे की भूख पर भी निर्भर करता है।
4.बच्चे को लूज़ मोशन है तो माँ दूध नहीं पिलायेगी
बच्चे की तबियत ख़राब है तब वो चिड-चिड करता है, कुछ खाता नहीं है और उसे कुछ पचाता नहीं है। ऐसे में उसको आपके दूध की बेहद ज्यादा जरुरत होती है। आपका दूध उसे तागत देगा और सारा पोशण देगा जिससे वो अच्छा फील करेगा।
5. सीजेरियन डिलीवरी के बाद माँ ब्रेस्टफीड नहीं करा सकती
ऐसा नहीं है डिलीवरी चाहे कैसे भी हो, आप अपने बच्चे को फीड करा सकते हो। डिलीवरी के बाद माँ अगर फीड नहीं करा पाती तो माँ और बेबी को स्टाफ एक्सपर्ट को प्लेस कर देते है, ताकि आप ब्रेस्टफीड करा पाए।
Disclaimer: यह सार्वजनिक रूप से एकत्रित जानकारी है। यदि आपको किसी विशिष्ट सलाह की आवश्यकता है तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।