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Metabolic Syndrome: इसकी वजह से बढ़ता है कई गंभीर बीमारियों का खतरा

मेटाबोलिक सिंड्रोम एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति के शरीर में कई असामान्यताएँ एक साथ पाई जाती हैं। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रभाव को कम किया जा सकता है और बेहतर स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है।

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kukshita kukshita
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metabolic Syndrome

(Image Credit: Freepik)

Do You Know About Metabolic Syndrome: मेटाबोलिक सिंड्रोम एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति के शरीर में कई असामान्यताएँ एक साथ पाई जाती हैं। यह सिंड्रोम पांच प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं का एक समूह होता है, जिनमें उच्च रक्तचाप, उच्च ब्लड शुगर, पेट के आसपास चर्बी का बढ़ना, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना और ह्रदय रोग। जब ये सभी कारक किसी व्यक्ति में एक साथ होते हैं, तो उसे मेटाबोलिक सिंड्रोम कहा जाता है। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रभाव को कम किया जा सकता है और बेहतर स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है।

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जानते हैं मेटाबोलिक सिंड्रोम के बारे में 

कारण: 

मेटाबोलिक सिंड्रोम का मुख्य कारण खराब जीवनशैली मानी जाती है। अनियमित खानपान, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और अत्यधिक मोटापा इसके प्रमुख कारक हैं। विशेष रूप से पेट के आसपास जमा होने वाली चर्बी, जिसे आंतरिक चर्बी कहा जाता है, हृदय पर नकारात्मक असर डालती है और मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ाती है। इसके अलावा, अत्यधिक शुगर और जंक फूड का सेवन, शराब का अधिक मात्रा में उपयोग, और धूम्रपान भी मेटाबोलिक सिंड्रोम के खतरे को बढ़ाते हैं। आनुवांशिक कारक भी इसका एक कारण हो सकते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में जीवनशैली का योगदान अधिक होता है।

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लक्षण:

मेटाबोलिक सिंड्रोम के लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते, लेकिन इसके मुख्य संकेतों में से एक है पेट के आसपास चर्बी का बढ़ना। इसके साथ ही, उच्च रक्तचाप, बार-बार प्यास लगना, अत्यधिक थकान महसूस करना, और बार-बार पेशाब जाना इसके सामान्य लक्षण हो सकते हैं। जब शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है, तो ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित नहीं रहता, जिससे टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, रक्त में उच्च ट्राइग्लिसराइड्स और कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर हृदय के लिए हानिकारक होते हैं और दिल के दौरे या स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं।

बचाव 

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मेटाबोलिक सिंड्रोम से बचाव और इसे नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में सुधार आवश्यक है। सबसे पहले, संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए, जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, और प्रोटीन शामिल हों। फास्ट फूड, शुगर युक्त पेय और तैलीय भोजन से दूरी बनानी चाहिए। इसके साथ ही, नियमित शारीरिक व्यायाम अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर दिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज़ चलना, दौड़ना, या योग करना, मेटाबोलिक सिंड्रोम के खतरे को कम कर सकता है। वजन को नियंत्रित रखने से भी पेट के आसपास की चर्बी को कम करने में मदद मिलती है, जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा घटता है।

इसके अलावा, नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाना भी महत्वपूर्ण है, ताकि ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के स्तर की निगरानी की जा सके। अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही मेटाबोलिक सिंड्रोम के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर चिकित्सा उपचार शुरू करना आवश्यक है। 

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें। 

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