Postpartum Depression: पोस्टपार्टम डिप्रेशन, Pregnancy के दौरान या बच्चे के जन्म के एक वर्ष के बाद तक शुरू हो सकता है। यह एक मानसिक बीमारी है जो आपके सोचने, महसूस करने या कार्य करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। हालंकि, शुरुआत में पोस्टपर्टम डिप्रेशन और सामान्य तनाव व थकावट के बीच स्पष्ट अंतर को बता पाना मुश्किल होता है। गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद थकावट, उदासी या निराशा की भावनाओं का अनुभव करना असामान्य नहीं है, लेकिन अगर भावनाएं आपको अपने दैनिक कार्यों को करने से रोकती हैं, तो यह पोस्टपर्टम डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। आइए जानते हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कुछ लक्षण:
Postpartum Depression को कैसे पहचाना जा सकता है?
यदि डिलीवरी के बाद आपको भी इस तरह की समस्याओं का अनुभव होता है तो इस बारे में किसी चिकित्सक से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। यदि यह समस्याएं थायरॉयड के कारण हो रही है तो इसमें इलाज की आवश्यकता होती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के सामान्य लक्षणों के लिए Talk Therapy या Counseling और दवा या दोनों की जरूरत हो सकती है। इस स्थिति में उपचार न लेने से समस्याओं के बढ़ने का जोखिम होता है।
1. भावनात्मक अस्थिरता (Emotional Instability)
गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद की स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बीमारी, सामाजिक अलगाव या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से तनाव संभव है, जिसके कारण भावनात्मक अस्थिरता आ सकती है। इसके कारण पोस्टपर्टम डिप्रेशन पैदा हो सकता है।
2. हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Imbalance)
गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के बाद हार्मोनल परिवर्तन अनुभव किया जाता है। गर्भावस्था के समय, progesterone और estrogen हार्मोन के स्तर सामान्य से अधिक होते हैं। डिलीवरी के बाद यह स्तर अचानक सामान्य हो जाता है। इस अचानक हुए परिवर्तन से डिप्रेशन हो सकता है।
3. आनुवांशिक बीमारी (Hereditarical Disease)
परिवार में मानसिक स्वास्थ्य बीमारी का इतिहास होने से भी पोस्टपर्टम डिप्रेशन हो सकता है। अप्रत्याशित (unseen) पोस्टपर्टम डिप्रेशन कुछ महीनों या उससे भी अधिक समय तक चल सकता है और यदि यह लम्बे समय तक चलता है तो कई अन्य गंभीर समस्याओं में परिवर्तित हो सकता है।
कैसे करें बचाव ?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के symptoms को ठीक करने के लिए उपचार के साथ-साथ आपको अपनी lifestyle में भी बदलाव करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए दिनचर्या में physical activities को शामिल करें। इसके साथ पर्याप्त आराम करने की भी कोशिश करें। स्वस्थ भोजन करें और शराब-धूम्रपान जैसे नशे से बचें। प्रसव के बाद महसूस होने वाली भावनात्मक समस्याओं के बारे में परिवार और दोस्तों से बात करें। सकारात्मक सोच रखें इससे परेशानी से जल्द निकलने में मदद मिलती है।