Are You Used To Suppressing Your Feelings? बहुत बार हमारे साथ ऐसा हो जाता है कि हमें लगता है कि हम बिल्कुल ठीक है लेकिन हम अपनी भावनाओं को दबा रहे होते हैं। हम उनके बारे में बातचीत नहीं करना चाहते क्योंकि ऐसी बातें हमें अनकंफरटेबल करती हैं। इसलिए हम हर बार ऐसी बातचीत को अवॉयड कर देते हैं क्योंकि हमें लगता है कि इससे समस्या खत्म हो जाएगी। इससे आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है और समस्या का समाधान भी नहीं निकलता। आप अंदर ही अंदर परेशान होते जाते हैं और किसी को इसके बारे में नहीं बताते। इसके साथ ही दूसरों को भी इस बात का अंदाजा नहीं होने देते हैं कि आप ठीक नहीं है। चलिए जानते हैं कि क्यों हमें अपनी भावनाओं को अंदर दबाने की बजाय व्यक्त करना चाहिए?
क्यों हमें अपनी भावनाओं को दबाने के बजाय व्यक्त करना चाहिए?
भावनाओं को दबाने से आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों के ऊपर बहुत बुरा असर पड़ता है। ऐसे में आप अपनी ही भावनाओं से डिस्कनेक्ट करना शुरू कर देते हैं। आपको समझ ही नहीं आता है कि आप क्या महसूस कर रहे हैं। आप किसी भी स्थिति के ऊपर रिएक्ट करना बंद कर देते हैं क्योंकि आपको समझ ही नहीं आता कि आपके साथ क्या हो रहा है। आप खुद को खाली महसूस करते हैं। आप किसी के साथ इमोशनल कनेक्शन बना ही नहीं पाते जिसके कारण खुद को व्यक्त करने में भी परेशानी होती है। आप की सेल्फ अवेयरनेस कम हो जाती है।
इसलिए बहुत जरूरी है कि आप अपनी फीलिंग्स को समझने की कोशिश करें और उन्हें वैलिडेट करें। हम में से बहुत लोगों की आदत होती है कि हम अपनी भावनाओं को हमेशा ही गलत समझते हैं या फिर उन्हें नकार देते हैं जिस कारण हम उन्हें दबाना शुरू कर देते हैं। अगर आपको गुस्सा आ रहा है तो उसके पीछे की वजह जानने की कोशिश करें ना कि अवॉइड करना शुरू कर दें। अगर आप दुखी हैं तो खुलकर कहें कि आपका मन उदास है लेकिन अपनी उदासी को खुशी के पीछे छुपाने की कोशिश मत करें। इसे आप धीरे-धीरे आदत बना लेंगे और आगे जाकर आप कभी भी अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाएंगे जिससे आपको यह समझ ही नहीं आएगा कि आप क्या है और आपकी इंडिविजुअलटी खत्म होती जाएगी।