Menstrual Health: मासिक धर्म, जिसे अक्सर पीरियड्स के नाम से जाना जाता है, एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है जो हर महिला के जीवन का एक अहम हिस्सा होती है। यह सिर्फ शारीरिक स्वच्छता का विषय नहीं है, बल्कि ये हमारे समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण सूचक भी है। मासिक धर्म के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं और इस दौरान अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है।
आइये जानते हैं मेन्स्ट्रूअल हेल्थ बनाए रखने के 5 महत्व
1. संक्रमण से बचाव (Protection from Infections)
मासिक धर्म के दौरान शरीर में बदलाव होते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अच्छी साफ-सफाई, नियमित रूप से सैनिटरी पैड बदलना और ढीले सूती कपड़े पहनने से जननांग क्षेत्र साफ रहता है और संक्रमण से बचा जा सकता है। यह आगे चलकर योनिशोथ (Vaginitis) और जटिल बीमारियों के जोखिम को कम करता है।
2. पीरियड्स में होने वाली तकलीफों को कम करना (Reducing Period Cramps and Discomfort)
मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द, मूड स्विंग्स और थकान जैसी तकलीफें होना आम है। संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और हल्का व्यायाम करने से इन तकलीफों को कम किया जा सकता है। साथ ही गर्म पानी की थैली से सिकाई करने और आरामदायक कपड़े पहनने से भी ऐंठन और दर्द से राहत मिलती है।
3. मासिक धर्म चक्र को नियमित करना (Regulating Menstrual Cycle)
अनियमित पीरियड्स कई महिलाओं को परेशान करते हैं। तनाव, खराब खानपान और व्यायाम की कमी इसकी वजह हो सकती है। योग, ध्यान और पर्याप्त नींद जैसी जीवनशैली में बदलाव करके मासिक धर्म चक्र को नियमित किया जा सकता है। नियमित चक्र से गर्भधारण की योजना बनाना भी आसान हो जाता है।
4. भविष्य में होने वाली समस्याओं को रोकना (Preventing Future Health Issues)
मासिक धर्म के स्वास्थ्य को बनाए रखना भविष्य में होने वाली कई समस्याओं को रोकने में मदद करता है। पीसीओएस (PCOS), एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) और बांझपन जैसी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है। साथ ही यह हड्डियों के कमजोर होने और हृदय रोग के जोखिम को भी कम करता है।
5. मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य (Mental and Emotional Well-being)
मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल बदलावों का असर मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स और अवसाद जैसे लक्षण हो सकते हैं। स्वस्थ आहार, पर्याप्त नींद, सकारात्मक सोच और तनाव प्रबंधन जैसी चीजें मानसिक सेहत को बनाए रखने में मदद करती हैं। साथ ही डॉक्टर से परामर्श भी जरूरी हो सकता है।
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