Is It Possible To Become Mother With IVF In Menopause? महिलाएं जीवन के कई पड़ाव से गुजरती हैं। जिसमें प्यूबर्टी से लेकर मेनोपॉज तक फेज आते हैं। इस दौरान हार्मोनल बदलाव या कई बार शारीरिक स्वास्थ्य स्थिति के कारण उन्हें कई समस्याओं से गुजरना पड़ता हैं। इन सबका सबसे बड़ा असर उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। जिस कारण वो मां बनने के सपने से चूक जाती हैं। ज्यादातर महिलाएं अपने मेनोपॉज के फेज में समस्याएं से जुझती हैं। मेनोपॉज के कारण हार्मोंस में कई बार उतार-चढ़ाव आते हैं। जिसे लेकर महिलाओं के मन में हमेशा आशंका बनी रहती हैं कि क्या वो मेनोपॉज के बाद भी मां बन सकती हैं?
क्या मेनोपॉज में आईवीएफ से मां बनना संभव है?
इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करने के कई उपकरण आ चुके हैं। जिसकी मदद से उन कपल्स में नई उम्मीद दिखनी शुरू हुई हैं, जो इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे थे। इनमें सबसे ज्यादा प्रसिद्ध उपकरण आईवीएफ है, जो आज के समय में किसी वरदान से कम नहीं है। ऐसे में जो महिलाएं सही उम्र तक मां नहीं बन पाई हैं। उन्हें अपने मेनोपॉज फेज में चिंताएं बनी रहती हैं कि क्या वो मेनोपॉज में कंसीव कर पाएंगी? हालांकि, मेनोपॉज में नेचुरली तौर पर कंसीव करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इस दौरान उनमें हार्मोनल बदलाव के कारण प्रजनन क्षमता प्रभावित हो जाती है। ऐसे में वो आईवीएफ की तरफ रूख करती है।
कैसे संभव है मेनोपॉज में आईवीएफ से मां बनना?
हमारे बीच ये मिथ है कि मेनोपॉज में आईवीएफ सफल नहीं हो सकता। हालांकि, यह उतना सच नहीं है क्योंकि आईवीएफ के जरिए मेनोपॉज में मां बनना संभव है, इसके लिए मेनोपॉज में हेल्दी रहना बहुत जरूरी है, तभी जाकर आईवीएफ की प्रक्रिया मेनोपॉज में सफल और सुरक्षित हो सकती है।
आईवीएफ कराते वक़्त इन बातों का ध्यान रखें
- ध्यान रखना चाहिए कि IVF कर रही महिलाएं ओबेसिटी से ग्रस्त ना हो।
- उनमें ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन की समस्या ना हो।
- डायबिटीज या अन्य किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त ना हो।
- इस दौरान बिल्कुल भी तनाव न लेने की कोशिश करें, क्योंकि तनाव का मां और शिशु दोनों पर असर पड़ता है।
- एक्सरसाइज या योग को अपने दिनचर्या में शामिल करें।
- शराब या धूम्रपान का सेवन करने से बचें।
- अपने आहार पर ध्यान दें। भूलकर भी जंक फूड का सेवन न करें।
आईवीएफ से क्या जोखिम आ सकते हैं मेनोपॉज में?
इस उम्र में महिलाओं का गर्भधारण करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु के तुलना में मेनोपॉज में जन्म लेने वाले बच्चों में जोखिम के खतरा ज्यादा रहता है। इस दौरान आईवीएफ से गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज और हार्ट डिजीज से जुड़ी बीमारी होने का भी खतरा बना रहता है। अध्ययन के मुताबिक 50 वर्ष की महिलाओं की तुलना में 42 वर्ष की महिलाओं में आईवीएफ उपचार सफल होने के ज्यादा चांसेस बने रहते हैं।
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