Mental Health: पिछले कुछ सालो में ‘Mental Health’, मतलब मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत चर्चा हो रही है। हम सब ने डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस जैसे शब्द सुने होंगे और इसके बारे में जानकारी रखते होंगे, पर क्या हम इस जानकारी का लाभ उठा सकते हैं? और क्या हम सही में लाभ उठा रहे हैं? क्या हमने मानसिक रोग से पीड़ित किसी दोस्त की मदद करने की कोशिश भी की? क्या हमने अपने बच्चों से बात की?
मेंटल हैल्थ शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है
हमें physical health के साथ साथ मेंटल हैल्थ पर भी ध्यान देना चाहिए। जब हमारे या हमारे परिवार वाले के पेट में लगातार दर्द होता है, जब हम ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेते हैं, तो अगर दर्द मन के भीतर है, हम इलाज के लिए क्यों न जाए?
इसके अलावा, जब भी हमें डर लग रहा हो या anxiety जैसा महसूस हो रहा हो, तो ऐसे मुश्किल समय में हमें अपने करीबी व्यक्तियों से बात करनी चाहिए। यदि हमे डर लगता है तो हम थेरेपिस्ट या स्कूल-कॉलेज के कॉउंसलर से बात कर सकते हैं। वे हमे इन भावनाओ को संभालना सिखाएंगे ताकि हमारे जीवन पर इसका कोई बुरा असर न पड़े और हम खुशी से अपना जीवन जी सकें।
बुरी मेंटल हैल्थ का प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है
मानसिक स्वास्थ्य का एक सीधा प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। जैसे की लगातार एंग्जायटी के वातावरण में रहने से लोगों को पेट और पाचन की समस्याएं होती है। इसी कारण से कुछ बच्चों को परीक्षा से पहले बुखार और उलटी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। हमें समझना होगा कि मन और शरीर आपस में जुड़े हुए हैं।
परीक्षा के पहले वाले डर के प्रभाव परीक्षा के साथ ही खत्म हो जाते हैं परंतु अगर डर या एंग्जायटी का कारण पारिवारिक पर्यावरण या शोषण जैसे चीज़े हैं, तो इनके लांग-टर्म प्रभाव जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम, किडनी प्रॉब्लम जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा महत्वपूर्ण है
मेंटल हैल्थ का ध्यान केवल अपना ही नहीं रखना बल्कि ऐसे लोगों तक हमें पहुंचना भी होगा जो मेंटल हेल्थ से जूझ रहे हैं। मेंटल हैल्थ को वे लोग भी गलत समझते हैं जिन्होंने कभी इसका अनुभव नहीं किया है। स्टिग्मा को कम करने के लिए दूसरों के साथ अपने अनुभव बांटना एक रास्ता है। मानसिक रोग के पीछे की विज्ञान को समझना एक और सलूशन है।
यदि लोग मानसिक बीमारी को भय और स्टिग्मा की नज़रो से देखेंगे तो लोगो को आवश्यक सहायता प्राप्त करने में कठिनाई होगी। हमें अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। जो लोग मेंटल हेल्थ से जूझ रहे हैं हमें उनके लिए सामाजिक मदद बनना चाहिए और उनके लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।