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जब महिला उम्र के सबसे महत्वपूर्ण दौर में पहुंचती हैं तो उसके शरीर में बहुत बदलाव आते हैं। 40s के उसके अनुभव और जीवन को नए पहलुओं से समझने और देखने के नए नजरिए में अब एक नया अध्याय भी आता हैं। मेनोपॉज और उससे पहले का दर्द और अनकंफर्टेबल लाइफ जो आसान नहीं। अगर महिला शादीशुदा हैं तो जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती हैं, ऐसे में महिला खुद को समय देना, अपनी सेहत का ध्यान रखना एक चुनौती बन जाती हैं।
Midlife Crisis: महिला के जीवन में 40 के बाद का सफर में नई चुनौतियां
1.शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन
40 के आते ही महिलाओं के शरीर में बहुत बदलाव होते हैं, यह समय मीनोपॉज के नजदीक होता हैं तो हार्मोनल बदलाव के कारण महिला के शरीर पर भी बदलाव आते हैं, जो उसे कमजोर और कही न कहीं दबा हुआ महसूस कराते हैं। महिला शारीरिक और हार्मोनल बदलाव के कारण वजन बढ़ना या नींद न आना या अधिक आना ऐसी समस्या से जूझती हैं।
2. रिश्तों में बदलाव
इस समय महिला के जीवन में बहुत अधिक परिवर्तन आते हैं क्योंकि बच्चे अब बड़े हो जाते हैं, या अपने करियर या शादी के चलते मां के पास नहीं रहते तो मां को "empty nest syndrome" का भी अनुभव होता हैं। पति पत्नी के रिश्तें में भी काफी बदलाव आता हैं।
3. नई पहचान
इस समय महिला अपने जीवन में क्या किया और क्या पाया ऐसे प्रश्नों से भी गुथती हैं, जो यह स्वयं का मूल्यांकन हैं। महिला स्वयं को नए आयाम में देखती हैं और अपने कौशल और आत्मबल का निरीक्षण भी करती हैं।
4. करियर और उद्देश्य का प्रश्न
महिला अपने जीवन में जिम्मेदारी के चलते करियर या उद्देश्य को कही न कहीं खोता महसूस करती हैं, और जब अपने 40 के समय में हैं तो उसका प्रश्न गहरा और सोचने पर मजबूर करने का होता हैं कि उसने अपने जीवन में अपने लिए क्या किया जो उसे उच्चतम संभावना तक लाएं।
5. मानसिक बदलाव
इस समय हार्मोनल बदलाव के कारण डिप्रेशन, एंग्जाइटी और आत्म संदेह के कारण महिला परेशान भी रहती हैं। ऐसे में यदि परिवार का सपोर्ट न मिले तो वह अंदर से अकेला महसूस करती हैं। मानसिक बदलावों के कारण वह भीतरी रूप से वह बहुत कमजोर महसूस करती हैं।
6. बदलती दोस्ती और सामाजिक नेटवर्क
इस समय पुराने दोस्त अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं और नए दोस्त बनना आसान नहीं होता हैं। महिला सोशल मीडिया पर परफेक्ट बनने के दबाव को भी महसूस करती हैं। ऐसे में महिला खुद को अकेला मानती हैं और दबाव में घिरी रहती हैं।