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Postpartum Care: बच्चे के जन्म के बाद माँ को होने वाली परेशानियों को जानें

"एक स्त्री को प्रकृति ने हर चुनौती को साहस के साथ पार करने की शक्ति दी है, इसलिए प्रकृति ने बच्चे को जन्म देने की जिम्मेदारी स्त्री को दी  है”। महिलाओं का शरीर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान एक असाधारण प्रक्रिया से गुजरता है।

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kukshita kukshita
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Post Pregnancy Awareness

(Image Credit: Freepik)

Reason Of Postpartum Back Pain: "एक स्त्री को प्रकृति ने हर चुनौती को साहस के साथ पार करने की शक्ति दी है, इसलिए प्रकृति ने बच्चे को जन्म देने की जिम्मेदारी स्त्री को दी है”। महिलाओं का शरीर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान एक असाधारण प्रक्रिया से गुजरता है। शिशु को जन्म देने की प्रक्रिया के बाद शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाए रखने के लिए उचित देखभाल, सही व्यायाम, और आराम की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय का बढ़ना, हॉर्मोनल बदलाव और शिशु के वजन के कारण शरीर पर पड़ने वाले तनाव से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। यह कमजोरियां प्रसव के बाद भी बनी रहती हैं और अक्सर पीठ और पेट दर्द के रूप में प्रकट होती हैं। और आज की तेज़-रफ़्तार जीवनशैली में, जहां नई माताओं को अपने नवजात शिशु की देखभाल के साथ-साथ अन्य जिम्मेदारियों का भी सामना करना पड़ता है, पीठ और पेट दर्द एक सामान्य समस्या बन गई है। अगर इस स्थिति को सही समय पर समझा जाए और सावधानीपूर्वक इसका इलाज किया जाए, तो पीठ और पेट दर्द से राहत पाई जा सकती है। 

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प्रेग्नन्सी के बाद होने वाले पीठ और पेट दर्द के कारण

1. शरीर के बदलते हॉर्मोनल स्तर

प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन और रिलैक्सिन नामक हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है। ये हॉर्मोन मांसपेशियों और लिगामेंट्स को ढीला करते हैं ताकि प्रसव के दौरान शिशु का जन्म आसानी से हो सके। प्रसव के बाद भी इन हॉर्मोन का असर शरीर पर रहता है, जिससे मांसपेशियों और जोड़ों में कमजोरी आ सकती है और इसके परिणामस्वरूप पीठ और https://hindi.shethepeople.tv/sehat/how-your-period-affects-your-hair महसूस हो सकता है।

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2. पेल्विक मांसपेशियों की कमजोरी

गर्भावस्था के दौरान पेल्विक (श्रोणि) की मांसपेशियां शिशु के बढ़ते वजन का भार सहन करती हैं, जिसके कारण इन मांसपेशियों में तनाव और कमजोरी आ जाती है। प्रसव के बाद, शरीर को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने में समय लगता है, जिससे पेल्विक क्षेत्र में दर्द हो सकता है। यह दर्द अक्सर पेट और पीठ में महसूस होता है।

3. शरीर का वजन बढ़ना

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प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर का वजन बढ़ जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है। इसके अलावा, शिशु के वजन के कारण शरीर का संतुलन भी बदल जाता है, जिससे पीठ में तनाव हो सकता है। डिलीवरी के बाद भी यह तनाव बना रहता है, खासकर तब जब शिशु को गोद में उठाने या स्तनपान कराने की प्रक्रिया में महिला की स्थिति ठीक नहीं होती।

4. सिजेरियन डिलीवरी 

यदि महिला का प्रसव सिजेरियन के माध्यम से हुआ है, तो पेट और पीठ में दर्द अधिक सामान्य हो सकता है। सिजेरियन के दौरान पेट की मांसपेशियों में कट लगने के कारण शरीर को पूरी तरह से ठीक होने में समय लगता है। इसके अलावा, सिजेरियन के बाद दी जाने वाली एनेस्थीसिया से भी पीठ में दर्द हो सकता है, जो कुछ हफ्तों या महीनों तक बना रह सकता है।

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5. शरीर की मुद्रा (Posture)

प्रसव के बाद महिलाओं की दिनचर्या में शिशु की देखभाल प्रमुख भूमिका निभाती है। शिशु को उठाने, स्तनपान कराने, और लगातार झुककर काम करने के दौरान शरीर की मुद्रा सही न होने पर पीठ और पेट में दर्द हो सकता है। लंबे समय तक झुककर काम करने या एक ही स्थिति में रहने से मांसपेशियों में तनाव और दर्द उत्पन्न हो सकता है।

6. प्रेग्नेंसी के दौरान मांसपेशियों का खिंचाव

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प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और कई बार ये मांसपेशियां खिंच जाती हैं। प्रसव के बाद इन मांसपेशियों को अपनी सामान्य स्थिति में लौटने में समय लगता है, और इस प्रक्रिया के दौरान पेट में दर्द महसूस हो सकता है।

7. व्यायाम और शारीरिक क्रियाओं की कमी

प्रेग्नेंसी और प्रसव के बाद कई महिलाएं शारीरिक रूप से कम सक्रिय हो जाती हैं, जिससे मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है। यह कमजोरी भी पीठ और पेट दर्द का कारण बन सकती है। उचित व्यायाम और खींचाव वाली गतिविधियों को शामिल करना इस दर्द को कम करने में सहायक हो सकता है।

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