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Some common questions related to thyroid and answers: समय के साथ बदलती लाइफस्टाइल में थायरॉइड जैसी बीमारियां लोगो को तेजी से प्रभावित कर रही है। हालांकि ये वंशानुगत भी होती है लेकिन आज आज के समय में इसके पीछे कई कारण है। थायरॉयड एक छोटी सी ग्रंथि होती है जो गर्दन के सामने हिस्से में स्थित होती है। लेकिन इसका असर हमारे शरीर के हर हिस्से पर पड़ता है। यह हार्मोन T3 और T4 नामक बनाती है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म, एनर्जी लेवल, वजन, और हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित करते हैं। महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में 8 गुना अधिक देखी जाती है, खासकर हार्मोनल बदलाव के कारण, जैसे पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज़ के दौरान। कई बार इसके लक्षण इतने आम होते हैं कि महिलाएं इन्हें नजरअंदाज कर देती हैं। आज विश्व थायरॉइड दिवस के अवसर पर आपको हम महिलाओं के थायरॉयड से जुड़े आम सवालों के जवाब देंगे, ताकि समय रहते पहचान हो सके और सही इलाज मिल सके।
महिलाओं के थायरॉयड से जुड़े आम सवाल और उनके जवाब
1. महिलाओं में थायरॉयड की समस्या पुरुषों से ज्यादा क्यों होती है?
महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले थायरॉइड 8 गुना ज्यादा होता है। इसका कारण है महिलाओं का जटिल हार्मोनल सिस्टम, जैसे पीरियड्स, गर्भावस्था और मेनोपॉज़ के समय कई बदलाव आते है। इन बदलावों से थायरॉयड ग्रंथि पर असर पड़ता है।
2. क्या सिर्फ मोटापा बढ़ना है थायरॉइड का लक्षण?
जी नहीं, थायरॉयड दो तरह के होते है। हाइपरथाइरॉयड और हाइपोथाइरॉइड। इनमें से सिर्फ एक में ही मोटापा होता है, दूसरे में वजन घटता है। थायरॉयड हमारे मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है। ऐसे में अगर मोटापे के साथ बाल झड़ना, थकान, स्किन में रूखापन और पपड़ी पड़ना, पीरियड्स में गड़बड़ी, ज्यादा ठंड लगना, हो तभी इसे माने कि आपको थायराइड की जांच करवानी चाहिए।
3. हाइपरथाइरॉयड की पहचान कैसे करे ?
अगर आपका वजन कम हो रहा साथ ही, दिल की धड़कन तेज होना, गर्मी अधिक लगना, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, पीरियड्स में गड़बड़ी और हाथ कांपना जैसे लक्षण दिखते है तो ये थायरॉइड की अधिकता हो सकती है जिसे हाइपरथाइरॉयड कहते है।
4. क्या थायरॉयड की बीमारी से प्रेग्नेंसी में दिक्कत हो सकती है?
थायरॉयड हार्मोन असंतुलन फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है और कंसीव करने में मुश्किलें ला सकता है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे के विकास और स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। साथ ही ये जन्म से बच्चे को थायराइड के खतरे को बढ़ता है। सही इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
5. थायरॉयड की समस्या का पता कैसे चलता है?
हर तिमाही थायरॉयड फंक्शन टेस्ट TSH, T3, T4 टेस्ट करवाए। इसके जरिए आपको अपने अंदर थायराइड का पता चलता है। डॉक्टर जरूरत के अनुसार थायरॉइड एंटीबॉडी टेस्ट या अल्ट्रासाउंड भी करवा सकते हैं।
6. थायरॉयड की बीमारी का इलाज कैसे होता है
हाइपोथायरॉयडिज्म (Hypothyroidism) में थायरॉक्सिन दवा दी जाती है। हाइपरथायरॉयडिज्म (Hyperthyroidism) में एंटी-थायरॉयड दवाएं, रेडियोएक्टिव आयोडीन या कभी-कभी सर्जरी की जाती है। इसके अलावा अपनी लाइफस्टाइल में आपको सुधार करने की जरूरत है। इसके लिए संतुलित और पौष्टिक आहार ले। इसमें आयोडीन, बी विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करे।
7. क्या थायरॉयड की समस्या उम्र के साथ बढ़ती है?
हाँ, खासकर 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं में थायरॉयड की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। उम्र बढ़ने के साथ थायरॉयड विकारों की व्यापकता बढ़ जाती है। यह खासकर हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायरॉयड) के मामले में जो 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में सबसे आम थायरॉइड है। इसलिए नियमित जांच जरूरी है।
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