Pregnancy Types: अगर आप एक महिला हैं और आप अपने पार्टनर के साथ फैमिली प्लानिंग कर रहीं हैं तो प्रेगनेंसी के बारें में कुछ बाते जानना आपके लिए जरुरी है। प्रेगनेंसी एक महिला के जीवन का काफी महत्वपूर्ण और अनमोल पल होता है। माँ बनने की ख़ुशी एक महिला से ज्यादा और किसको हो सकती है ? लेकिन एक हेल्थी प्रेगनेंसी के लिए आपको जागरूक और जानकर बनना जरुरी है। अपको प्रेगनेंसी के बारें में कई बातें पता होंगी पर क्या आपको ये पता है की प्रेगनेंसी के भी टाइप्स होते है ? जी हाँ, चलिए इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के कुछ टाइप्स के बारें में गहराई से बताते हैं।
ये हैं प्रेगनेंसी के कुछ टाइप्स
1. केमिकल प्रेगनेंसी
केमिकल प्रेगनेंसी का ये अर्थ है कि इस प्रेगनेंसी में एक महिला को पता भी नहीं होता की वो प्रेग्नेंट है और उससे पहले ही उसका गर्भपात हो जाता है। कई बार ऐसे केस में एक महिला का पीरियड्स मिस होता है जिससे उसे उसके प्रेगनेंसी का एहसास हो जाता है। प्रेगनेंसी के 5 हफ्ते में डॉक्टर्स एक महिला को अल्ट्रा साउंड की सलाह देते हैं ताकि वो पेट में पल रहें बच्चें को डिटेक्ट कर सकें लेकिन केमिकल प्रेगनेंसी में उस महिला का उससे पहले ही गर्भपात हो जाता है। इस प्रेगनेंसी में गर्भपात कई असामान्यता के वजह से हो सकता है।
2. मल्टीपल प्रेगनेंसी
यह प्रेगनेंसी की एक ऐसी कंडीशन है जब एक महिला एक साथ में ट्विन्स या ट्रिप्लेट्स से प्रेग्नेंट हो जाती है। ये कंडीशन तब उत्पन होती जब पेट में अंडे 2 भाग में बट जाते हैं या गर्भ में एक से ज्यादा अंडे निषेचित हो जाता है। ऐसे वक्त में महिला को अपना खास ख्याल रखना पड़ता है ताकि वो खुद भी सुरक्षित और स्वस्थ रहें और वो हेल्थी बच्चों को जन्म दे सकें।
3. रिस्क प्रेगनेंसी
हाई रिस्क प्रेगनेंसी में महिला या उसके शिशु के जान को या तो खतरा रहता है या उसके प्रेगनेंसी में कई सारे जटिलता मौजूद होती हैं। ये जटिलता बच्चें के जन्म के वक्त या उससे पहले उत्पन हो सकती हैं लेकिन, ऐसी कौनसी चीजें हैं जिससे एक महिला हाई रिस्क प्रेगनेंसी से गुजरती हैं आइए जानते हैं।
- प्रेग्नेट महिला का उम्र - जो महिला माँ बनने वाली है उसका उम्र इस प्रेगनेंसी के पूरे प्रोसेस में काफी महत्वपूर्ण है। जो भी महिला 17 साल की उम्र से कम उम्र में प्रेग्नेंट हो जाती है उसके प्रेगनेंसी में कई दिक्कतें हो सकती है। या जिस भी महिला का उम्र 35 से ज्यादा है उसे भी माँ बनने में काफी दिकत्तों का सामना करना पड़ सकता है।
- मेडिकल कंडीशन - अगर कोई महिला का पहले से कोई भी मेडिकल हिस्ट्री रही है तो वो भी उसके प्रेगनेंसी में काफी दुविधा जनक हो सकती है। अगर कोई महिला मधुमेह या इम्यून की कोई बीमारी से प्रभावित है तो उसकी प्रेगनेंसी में काफी रिस्क आ सकती है।
- प्रेगनेंसी हिस्ट्री - अगर किसी महिला की प्रेगनेंसी हिस्ट्री सही नहीं है, जैसे पहले उसका बार - बार गर्भपात होना या समयपूर्व लेबर तो इस बार के प्रेगनेंसी में भी काफी रिस्क बढ़ जाता है।
- जीवन शैली - अगर एक महिला की जीवन शैली खराब है तो उसे प्रेगनेंसी के वक्त बहुत प्रॉब्लम हो सकता है। इसलिए आपको अगर एक बच्चें को जन्म देना है तो आपको खुद भी स्वस्थ रहना होगा ताकि आपके बच्चें पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़े।
4. ब्रीच प्रेगनेंसी
यह एक ऐसी कंडीशन है जब आपके पेट में पल रहें शिशु का सिर ऊपर की तरफ है और पैर नीचे की तरफ यानि जहाँ बर्थ कैनाल मौजूद है वहा होता है। नॉर्मल प्रेगनेंसी में बच्चें का सर नीचे की तरफ होता है जिससे जन्म का प्रोसेस आसान होता है। कोई भी प्रेगनेंसी में अगर बच्चा 35 से 36 वीक तक ब्रीच पोजीशन में रहता है तो ये आम बात है आखिर के महीने में बच्चें का सिर निचे की ओर आजाता है।
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