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Female Health: पीरियड्स में कम ब्लीडिंग के कारण

महिलाओं में पीरियड फ्लो का कम होना असामान्य हो सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि शारीरिक तनाव, आहार में पोषक तत्वों की कमी, हार्मोनल परिवर्तन या महिलाओं की आयु आदि।

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Kavya Gupta
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Female Health Issues(FREEPIK)

(Image Source: freepik)

What Causes Less Bleeding During Periods: महिलाओं को अपने पीरियड्स का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। नियमित पीरियड्स महिलाओं के स्वास्थ्य और वेलबीइंग के लिए आवश्यक होते हैं। नियमित पीरियड्स का मतलब है कि हर माह पीरियड्स आना और उनके बारे में समय से समय पर ध्यान रखना। पीरियड्स के अचानक बदलाव जैसे समय पर न आना, काम या ज़्यादा आना आदि के मामले में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है। सही समय पर इलाज़ करवाना स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं को समय पर शांत कर सकता है और एक अच्छी और स्वस्थ जीवनशैली पाने में सहायता कर सकता है।

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पीरियड्स में कम ब्लीडिंग के कारण 

1. बढ़ती उम्र

यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो महिलाओं के साथ उम्र के साथ होती है। जब  महिलाएं मेनोपॉज़ में प्रवेश करती हैं, तो उनके गर्भाशय में ओव्यारियन फ़ंक्शन कम होने लगता है, जिसके कारण वे अपने पीरियड्स के फ्लो कम और अनियमित होता है। यह उम्र के बढ़ने के प्राकृतिक प्रक्रिया है। 

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2. हार्मोनल बदलाव 

हार्मोनल असंतुलन के कारण पीरियड फ्लो कम हो सकता है। हार्मोन्स के असंतुलन कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि गर्भाशय, ओवरियन या थाइराइड समस्याएं, वजन कमी या बढ़ती, अत्यधिक शारीरिक तनाव, खानपान में परिवर्तन या अन्य मेडिकल कंडीशंस जैसे कि पोलिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)। जब हार्मोन्स का स्तर असंतुलित होता है, तो इसका प्रभाव पीरियड्स पर होता है, जिसके कारण पीरियड्स का फ्लो कम हो सकता है। 

3. अनुचित खानपान

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अनुचित खानपान के कारण पीरियड फ्लो कम हो सकता है। बाहर का ख़राब खाना या भरपूर पोषण न लेना आजकल की समस्या बन चुकी है और यह समस्या कई बीमारियों की जड़ भी है। इसी के चलते महिलाओं को उनके शरीर से जुड़ी काफी बीमारियां हो सकती है जैसे हार्मोनल डिस्बैलेंस। इसका सीधा असर इनके पीरियड्स पर पड़ता है जिससे ब्लड फ्लो कम होने के चान्सेस बढ़ सकते हैं।   

4. ओवर एक्सरसाइज

ओवर एक्सरसाइज करने से शरीर में हार्मोनल परिवर्तन हो सकते हैं, जो पीरियड्स के फ्लो को कम कर सकते हैं। अधिक एक्सरसाइज करने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स का स्तर बढ़ सकता है, जो पीरियड्स के फ्लो को कम करने का कारण बन सकता है। साथ ही, शरीर की वास्तविक ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए शारीर की अन्य क्रियाओं को कम प्राथमिकता मिल सकती है, जिसके कारण गर्भाशय पर असर पड़ सकता है। 

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5. बर्थ कंट्रोल

बर्थ कंट्रोल पिल्स में हार्मोन्स होते हैं जो गर्भाशय की हलचल को प्रभावित करते हैं और गर्भाशय की लाइनिंग को पतला और कम बना सकते हैं। यह गर्भाशय में हार्मोनल परिवर्तन को प्रेरित कर सकता है जिससे पीरियड्स का फ्लो कम हो सकता है। यह निर्भर करता है कि किस प्रकार का बर्थ कंट्रोल पिल्स आप उपयोग कर रहे हैं और आपका शरीर कैसे प्रतिक्रिया कर रहा है। 

6. अधिक वजन

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मोटापा हार्मोनल परिवर्तन को प्रेरित कर सकता है जो महिलाओं के पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। मोटापे से संबंधित हार्मोनल परिवर्तन का एक कारण है इंसुलिन रेजिस्टेंस, जिसमें शरीर को इंसुलिन का उपयोग करने में कठिनाई होती है। यह हार्मोनल परिवर्तन गर्भाशय की स्वाभाविक फ़ंक्शन को प्रभावित कर सकता है, जो पीरियड्स के फ्लो को कम कर सकता है। यह एक प्रकार का हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे गर्भाशय लाइनिंग कम बन सकती है और पीरियड्स का फ्लो कम हो सकता है।

7. स्ट्रेस

स्ट्रेस के दौरान, शरीर में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जो महिलाओं के पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। अत्यधिक स्ट्रेस या लंबे समय तक स्ट्रेस के अनुभव से, गर्भाशय की कार्यक्षमता पर असर डाल सकता है, जिससे पीरियड्स के फ्लो कम हो सकता है। यह हार्मोनल परिवर्तन गर्भाशय में अनियमितता और गर्भाशय लाइनिंग की कमी को प्रेरित कर सकता है, जिससे पीरियड्स के फ्लो कम हो सकता है। 

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Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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