महिलाओं में Anxiety अधिक क्यों? क्या महिला में sensitivity होना है इसका कारण?

समाज में अक्सर महिलाओं को ज्यादा भावुक और कमजोर बताया जाता हैं।और उनकी इमोशनल हेल्थ को बस मूड स्विंग का नाम दे दिया जाता हैं। वास्तव में, इसका कारण सिर्फ सिर्फ बायोलॉजिकल नहीं साइकोलॉजिकल और सोशियोलॉजिकल भी हैं।

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Nainsee Bansal
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Do these things to reduce anxiety and stress

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समाज में अक्सर महिलाओं को ज्यादा भावुक और कमजोर बताया जाता हैं।और उनकी इमोशनल हेल्थ को बस मूड स्विंग का नाम दे दिया जाता हैं। लेकिन वास्तव में यह कड़ी बहुत गहरी हैं। महिलाओं का अधिक भावुक और सेंसटिव होना उन्हें खतरे के लिए तो अलर्ट कर देता हैं, पर उन्हें ओवर अवेयरनेस और सेल्फ डाउट में डाल देता हैं। क्या हैं इसका कारण कि महिलाओं को मन से नाजुक और दिल से भावनाओं को अधिक समझने वाला बना दिया जाता हैं। लेकिन महिलाओं को भावनात्मक अधिक होना उन्हें कमजोर बना देना भी शामिल होता हैं। वास्तव में, इसका कारण सिर्फ सिर्फ बायोलॉजिकल नहीं साइकोलॉजिकल और सोशियोलॉजिकल भी हैं।

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महिलाओं में Anxiety अधिक क्यों? क्या महिला में sensitivity होना है इसका कारण?

क्या हैं महिलाओं का सेंसटिव होने का कारण?

महिलाओं में anxiety Disorder पुरुषों की तुलना में अधिक पाए जाते हैं। इसका मुख्य कारण महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव और उनका अधिक सेंसिटिव होना भी हैं। पुरुषों की तुलना में महिला अपने भीतर झांकने और भावनाओं को महसूस करने की क्षमता अक्सर अधिक होती हैं। इसे introspective sensitivity कहते हैं। यह महिलाओं को empathetic और emotionally intelligent बनाती हैं। लेकिन यही गुण कभी कभी over-awareness और self -doubt में बदलकर एंग्जाइटी को बढ़ा देता हैं। यही कारण हैं कि महिला खतरे को ज्यादा महसूस करती हैं।और इसे अधिक महसूस कर पहले से चिंतित हो जाती हैं। 

हार्मोनल उतार चढ़ाव भी है कारण

महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन जैसे हार्मोन बार-बार बदलते रहते हैं। इसके कारण भी महिलाओं में भावनात्मक रूप से उतार-चढ़ाव होता हैं। मासिक धर्म, गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान यह उतार चढ़ाव मानसिक स्थिरता को प्रभावित करता हैं।

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सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव

महिलाओं को अक्सर घर और काम दोनों संभालने का बोझ होता हैं। समाज में उनसे अधिक त्याग और जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती हैं, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता हैं। संस्कृति के नाम पर भी महिला का रोल अधिक और जिम्मेदारी वाला बना दिया हैं। अच्छी मां, बहु, बेटी और कई भूमिका जिनमें उससे हमेशा उपलब्ध और अच्छा बनने की उम्मीद होती हैं। यही कारण हैं कि वे इन दबावों के चलते ज्यादा एंग्जाइटी महसूस करती हैं।

ट्रॉमा और असुरक्षा का होना 

महिलाओं को समाज में असुरक्षा का भाव domestic violence, harrasment और gender discrimination का सामना पुरुषों से अधिक करना पड़ता हैं। यह अनुभव लंबे समय तक post-traumatic stress और anxiety को जन्म देता हैं। लंबे समय तक महिलाओं को caregiver होना भी उन्हें खतरे को महसूस करने की क्षमता बढ़ाता हैं। इन कारणों की वजह से महिलाएं एंग्जाइटी को अधिक महसूस करती हैं।

जैविक संवेदनशील 

रिसर्च के अनुसार महिलाओं का nervous system तनाव के प्रति अधिक संवेदनशील होता हैं। इसी कारण वे छोटी छोटी सिचुएशन में भी ओवरथिंकिग और चिंता का शिकार हो सकती हैं। इसके कारण वह ऐंगज़ाइइटी बहुत महसूस करती हैं। 

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मानसिक स्वास्थ्य का stigma 

महिलाओं को अक्सर mental health पर बात करना जरूरी नहीं समझा जाता हैं। और जब वे बात करती हैं तो उन्हें इतना सपोर्ट नहीं मिलता हैं। इसके कारण महिलाएं अपनी चिंता को छिपाती हैं क्योंकि समाज मानसिक स्वास्थ्य को दिखावा या कमजोरी मानता हैं। कई बार यही मेंटल हेल्थ पर बात हो तो उन्हें "पागल" जैसे शब्दों से भी संबोधित करते हैं। ऐसे दबाव और डर के कारण महिलाएं इस पर बात नहीं करती हैं। और अंदर ही अंदर एंग्जाइटी से घुटती रहती हैं।

mental health anxiety Disorder